पाठ -12
नींव की ईंट
(क) विषय बोध
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए-
प्रश्न : (1) 'नींव की
ईंट' पाठ के आधार पर बतायें कि दुनिया क्या देखती है?
उत्तर : दुनिया नींव की
ईंट की अपेक्षा इमारत की चमक-दमक देखती है। ऊपरी आवरण की चमक-दमक ही देखना पसन्द
करती है।
प्रश्न : (2) इमारत का होना न होना
किस बात पर निर्भर करता है?
उत्तर : इमारत का होना न
होना नींव की पहली ईंट पर निर्भर करता है। यदि नींव मज़बूत होगी तो इमारत भी मज़बूत बन पाएगी।
प्रश्न : (3) लेखक ने नींव की ईंट
किसे बताया है?
उत्तर : जो ईंट
ज़मीन के सात हाथ नीचे जाकर गड़ती है और
इमारत की पहली ईंट बनती है। इसी ईंट पर
इमारत की मज़बूती तथा होना न होना निर्भर
करता है। लेखक ने इसे ही नींव की
ईंट कहा है।
प्रश्न : (4) नींव की ईंट ने अपना
अस्तित्व क्यों विलीन कर दिया?
उत्तर : नींव की ईंट ने
अपना अस्तित्व इसलिए विलीन कर दिया ताकि इमारत मज़बूत और सुंदर बन सके और यह संसार
एक सुंदर सृष्टि देख सके।
प्रश्न : (5) ईसा की
शहादत ने किस धर्म को अमर बना दिया?
उत्तर : ईसा की शहादत ने
ईसाई धर्म को अमर बना दिया।
प्रश्न : (6) किसकी
हड्डियों के दान से वृत्रासुर का नाश हुआ?
उत्तर : महर्षि दधीचि की
हड्डियों के दान से वृत्रासुर का नाश हुआ ।
प्रश्न : (7) लेखक के
अनुसार सत्य की प्राप्ति कब होती है?
उत्तर : लेखक के अनुसार
कठोरता और भद्देपन दोनों का सामना करने से सत्य की प्राप्ति होती है। किसी भी इमारत का सत्य उस की नींव की ईंट
होती है।
प्रश्न : (8) पाठ में
लेखक ने 'दधीचि' और 'वृत्रासुर' शब्द किसके लिए प्रयोग किए हैं?
उत्तर : पाठ में लेखक ने
'दधीचि' शब्द शहीदों तथा 'वृत्रासुर' विदेशी आक्रमणकारियों के लिए प्रयोग किए हैं।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए-
प्रश्न : (1) नींव की ईंट
और कँगूरे की ईंट दोनों क्यों वन्दनीय हैं?
उत्तर : नींव की ईंट
इसलिए वन्दनीय है क्योंकि यह ईंट ज़मीन के सात हाथ नीचे जाकर गड़ गई है और इमारत की पहली ईंट बनी है। दूसरा कँगूरे
की ईंट इसलिए वन्दनीय है क्यों कि यह कट - छंटकर कँगूरे पर चढ़ती है और इमारत की शोभा बनाती है। इसलिए
दोनों वन्दनीय हैं।
प्रश्न : (2) नींव की ईंट पाठ के आधार पर सत्य का स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : पाठ के आधार पर
'सत्य' सदा शिवम होता है किंतु वह हमेशा 'सुंदरम' भी हो यह आवश्यक नहीं। सत्य कठोर होता है। कठोरता और भद्दापन साथ
साथ जन्मा करते हैं, जिया करते हैं। हम कठोरता से भागते हैं भद्देपन से मुख मोड़ते
हैं इसलिए सत्य से भी भागते हैं।
प्रश्न : (3) देश को आज़ाद
करवाने में किन लोगों का योगदान रहा? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर : देश को
आज़ाद करवाने में अनेक लोगों का योगदान
रहा। यह केवल उन लोगों के बलिदान से ही आज़ाद
नहीं हुआ जिनका नाम इतिहास में लिखा है। इसमें उनका भी योगदान है जिन्होंने चुपचाप
देश सेवा की और देश के लिए अपना बलिदान दे दिया और आज़ादी की नींव की ईंट बने।
प्रश्न : (4) आजकल के नौजवानों में
कँगूरा बनने की होड़ क्यों मची हुई है?
उत्तर : आजकल के
नौजवानों में कँगूरा बनने की होड़ इसलिए मची हुई है क्योंकि उनमें नींव की ईंट बनने की इच्छा नहीं रही। उनमें देशभक्ति,
बलिदान तथा त्याग की कामना खो गई है। केवल बाहरी दिखावे के प्रतीक बनना चाहते हैं।
केवल यश और सुख प्राप्त करना ही उनका उद्देश्य है।
प्रश्न : (5) नये समाज के निर्माण
के लिए किस चीज़ की आवश्यकता होती है?
उत्तर : नये समाज के
निर्माण के लिए नींव की ईंट बनने की इच्छा रखने वाले लोगों की आवश्यकता है।
ऐसे नवयुवकों की आवश्यकता है जो समाज के नवनिर्माण के लिए अपना बलिदान
देकर नींव की ईंट बनें । जो शाबाशियों से दूर हों और दलबंदियों से
अलग हों । जिनमें कँगूरा बनने की कामना न हो।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छःसात वाक्यों में दीजिए:-
प्रश्न : (1) नींव की ईंट
पाठ के आधार पर बताएँ कि समाज की आधारशिला क्या होती है?
उत्तर : शहादत और
मौन-मूक सेवा ही समाज की आधारशिला होती है। जिस शहादत को समाज में ख्याति तथा जिस बलिदान को अधिक
प्रसिद्धि मिल जाती है वह समाज की आधारशिला नहीं होती। वह तो केवल इमारत की कँगूरा अथवा मंदिर के
कलश के समान हो सकती है। वह नींव की ईंट कभी नहीं होती। वास्तव में समाज की
आधारशिला वही लोग बनते हैं जो चुपचाप अपना बलिदान एवं त्याग कर देते हैं और जिन्हें
कोई नहीं जानता।
प्रश्न : (2) आज देश को कैसे
नौजवानों की ज़रूरत है? पाठ के आधार पर
उत्तर दीजिए।
उत्तर : आज देश को ऐसे
नौजवानों की ज़रूरत है जो अपने देश पर
चुपचाप अपना बलिदान एवं त्याग कर दें।
जो एक नई प्ररेणा से प्रेरित हों। उनमें एक नई चेतना का भाव हो
जिन्हें किसी की शाबाशी की ज़रूरत न हो।
जिनमें न तो कँगूरा बनने की इच्छा हो और न ही कलश कहलाने की इच्छा हो। वे सभी
इच्छाओं एवं आशाओं से बिल्कुल दूर हों।
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए:-
1. सुंदर समाज बने,
इसलिए कुछ तपे-तपाए लोगों को मौन - मूक शहादत का लाल सेहरा पहनना है।
उत्तर- इस पंक्ति का आशय है कि समाज का सुंदर निर्माण होना चाहिए। इसके लिए
समाज के कुछ अग्रणी लोगों को चुपचाप किसी प्रसिद्धि से मुक्त होकर अपना बलिदान एवं
त्याग करना होगा। इसमें कवि ने चुपचाप बलिदान देने की प्ररेणा दी है।
2. हम जिसे देख नहीं
सके, वह सत्य नहीं है, यह है मूढ़
धारणा। ढूँढने से ही सत्य मिलता है। ऐसी नींव की ईंटों की ओर ध्यान
देना ही हमारा काम है, हमारा धर्म है।
उत्तर- इसका आशय यह है कि हम जिसको देख नहीं सके वह बिल्कुल सत्य नहीं है। यह एक
मूर्ख धारणा है। इसमें सत्य की प्राप्ति नहीं होती। सत्य तो केवल ढूँढने से ही मिलता है। हमें
कँगूरे की तरफ नहीं बल्कि इमारत की नींव की ईंटों की तरफ ध्यान देना चाहिए। यही हमारा
कर्म है और यही धर्म है।
3. उदय के लिए आतुर समाज चिल्ला
रहा है - हमारी नींव की ईंट किधर है? देश के नौजवानों को यह चुनौती है।
उत्तर- इसमें लेखक ने नौजवानों में समाज के प्रति कर्तव्य हीन भावना की ओर
संकेत किया है। आज समाज उन्नति के लिए नौजवानों का इंतज़ार कर रहा है किंतु कोई उन्नति एवं उदय की
आधारशिला बनने को तैयार नहीं है। देश के नौजवानों के लिए चुनौती है।
(ख) भाषा-बोध
1. निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग और मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए-
उपसर्ग शब्द मूल शब्द आवरण आ वरण प्रताप प्र ताप प्रचार प्र चार बेतहाशा बे
तहाशा |
उपसर्ग शब्द मूल शब्द प्रसिद्धि प्र
सिद्धि अभिभूत अभि
भूत अनुप्राणित अनु
प्राणित आकृष्ट आ
कृष्ट |
2. निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए-
शब्द मूल शब्द प्रत्यय मज़बूती मज़बूत ई भद्दापन भद्दा पन पायदारी पाय
दारी विदेशी विदेश
ई |
शब्द मूल शब्द प्रत्यय चमकीली चमक
ईली पुख़्तापन पुख़्ता पन कारखाना कार
खाना सुनहली सुनहल
ई |
3. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझ कर उन्हें वाक्य में प्रयुक्त कीजिए-
मुहावरा अर्थ
वाक्य
- नींव की ईंट बनना (काम का आधार बनना) महान व्यक्ति हमेशा समाज की नींव की ईंट बनते हैं।
- शहादत का लाल (बलिदान देने वाला
व्यक्ति) देश के शहादत के
लालों को कभी नहीं भूलना चाहिए।
- सेहरा पहनना (सर्वस्व बलिदान देना) हमारी सेना के वीर सिपाही देश की रक्षा के लिए सदा सेहरा पहनने के लिए तत्पर रहते हैं।
- खाक छानना (मारा-मारा फिरना)पिता अपने खोए हुए पुत्र के लिए पूरे
देश में खाक छानता फिरा।
- फलना फूलना (सुखी व सम्पन्न
होना) देशभक्तों के बलिदान के
कारण ही समाज फलता-फूलता है।
- खपा देना (किसी काम में लग जाना) देश के विकास के लिए ऐसे नौजवानों की आवश्यकता है जो अपने आप को खपा देने के लिए तैयार हों।
निम्नलिखित वाक्यों में उचित विराम चिह्न लगाइए-
1. कँगूरे के गीत गाने वाले हम आइए अब नींव के गीत गाएँ।
उत्तर- कँगूरे के गीत गाने वाले हम, आइए, अब नींव के गीत गाएँ।
2. हाँ शहादत और मौन-मूक समाज की आधारशिला यही होती है।
उत्तर- हाँ, शहादत और मौन-मूक! समाज की आधारशिला यही होती है।
3. अफसोस कँगूरा बनने के लिए चारों ओर होड़ा-होड़ी मची है नींव की ईंट बनने की कामना
लुप्त हो रही है।
उत्तर- अफसोस, कँगूरा बनने के लिए चारों ओर होड़ा-होड़ी मची है, नींव की ईट ईंट बनने की कामना लुप्त हो रही है।
4. हमारी नींव की ईंट किधर है
उत्तर- हमारी नींव की ईंट किधर है?