पाठ - 4
झाँसी की रानी की समाधि पर
1. निम्नलिखित पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए
1. यहीं कहीं पर बिखर गई वह, भग्न विजय-माला-सी।
उसके फूल यहाँ संचित हैं, है यह समृति शाला-सी।।
सहे वार पर वार अंत तक, लड़ी वीर बाला-सी।
आहुति-सी गिर चढ़ी चिता पर, चमक उठी ज्वाला-सी ।।
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कविता 'झाँसी की रानी की समाधि पर' में से ली गई हैं। इस कविता में कवयित्री ने झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई को अपनी उत्साहपूर्ण श्रद्धांजलि दी है। इन पंक्तियों में कवयित्री झाँसी रानी की वीरता को स्मरण कर रही हैं।
व्याख्या :- कवयित्री झाँसी की रानी को स्मरण करते हुए कहती है कि इसी स्थान के आस-पास वह एक टूटी हुई विजय-माला के समान बिखर गई थी अर्थात यहीं कहीं वह वीरगति को प्राप्त हुई थी। यह समाधि उनकी याद स्थली है जिसमें उसकी अस्थियाँ एकत्र करके रखी गई हैं। उसने अपने ऊपर शत्रुओं के अनेक वार सहन किए थे। वह एक वीर स्त्री की तरह लड़ी थी। वह स्वतंत्रता संग्राम के यज्ञ में आहुति की तरह गिरकर चिता पर चढ़ गई और एक ज्वाला के समान चमक उठी।
2. बढ़ जाता है मान वीर का रण में बलि होने से।
मूल्यवती होती सोने की भस्म, यथा सोने से।।
रानी से भी अधिक हमें अब, यह समाधि है प्यारी।
यहाँ निहित है स्वतंत्रता की, आशा की चिनगारी।।
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कविता 'झाँसी की रानी की समाधि पर' में से ली गई हैं। इस कविता में कवयित्री ने झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई को अपनी उत्साह पूर्ण श्रद्धांजलि दी है। इन पंक्तियों में कवयित्री ने इस समाधि को रानी से भी अधिक महत्वपूर्ण बताया है।
व्याख्या- इन पंक्तियों में कवयित्री कह रही हैं कि जब कोई वीर योद्धा युद्ध क्षेत्र में अपना बलिदान देता है तो उसका आदर सत्कार उसी प्रकार बढ़ जाता है जिस प्रकार सोने की भस्म सोने से भी अधिक मूल्यवान होती है। कवयित्री कहती हैं कि अब हमें यह समाधि रानी से भी अधिक प्रिय है क्योंकि इस समाधि में स्वतंत्रता प्राप्त करने की आशा की चिंगारी छिपी हुई है।
3. इससे भी सुंदर समाधियाँ, हम जग में है पाते।
उनकी गाथा पर निशीथ में, क्षुद्र जंतु ही गाते।।
पर कवियों की अमर गिरा में इसकी अमिट कहानी।
स्नेह और श्रद्धा से गाती हैं वीरों की बानी।।
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कविता 'झाँसी की रानी की समाधि पर' में से ली गई हैं। इस कविता में कवयित्री ने झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई को अपनी उत्साहपूर्ण श्रद्धांजलि दी है। इन पंक्तियों में कवयित्री ने सभी कविगणों की ओर से रानी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए हैं।
व्याख्या :- कवयित्री के अनुसार इस समाधि से अधिक सुंदर समाधियाँ हमें इस संसार में मिलती हैं। किंतु उनकी गाथा आधी रात में तुच्छ प्राणी ही गाते हैं अर्थात उनका यशोगान करने वाले चंद तुच्छ प्राणी ही हैं। लेकिन झाँसी की रानी की वीरगाथा का वर्णन तो हर कवि बड़े प्यार और श्रद्धा भाव से करना अपना गौरव समझता है।
अभ्यास
(क) विषय-बोध
2) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए :-
1. समाधि में छिपी राख की ढेरी किसकी है?
उत्तर - समाधि में छिपी राख की ढेरी झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की है।
2. किस महान लक्ष्य के लिए रानी लक्ष्मीबाई ने अपना बलिदान दिया?
उत्तर - भारत को अंग्रेज़ों की गुलामी से मुक्त कराने के लिए लक्ष्मीबाई ने अपना बलिदान दिया।
3. रानी लक्ष्मीबाई को कवयित्री ने 'मरदानी' क्यों कहा है?
उत्तर- रानी लक्ष्मीबाई को कवयित्री ने ‘मरदानी’ इसलिए कहा है क्योंकि वह अंग्रेजों के साथ युद्ध में मर्दों की तरह लड़ी थी।
4. रण में वीरगति को प्राप्त होने से वीर का क्या बढ़ जाता है?
उत्तर- रण में वीरगति को प्राप्त होने से वीर का मान बढ़ जाता है।
5. कवयित्री को रानी से भी अधिक रानी की समाधि क्यों प्रिय है?
उत्तर- कवयित्री को रानी से भी अधिक रानी की समाधि इसलिए प्रिय है क्योंकि इससे आने वाली पीढ़ियों को स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा मिलती है। जैसे सोने की भस्म सोने से अधिक मूल्यवान होती है, उसी प्रकार रानी की समाधि भी रानी से अधिक कीमती है।
6. रानी लक्ष्मी बाई की समाधि का ही गुणगान कवि क्यों करते हैं?
उत्तर- रानी लक्ष्मीबाई ने देश की खातिर अपना बलिदान दे दिया। उनकी वीरता की गाथा अमर है। एक सच्ची देशभक्त अमर वीरांगना की समाधि का गुणगान करके कवि उन्हें अपनी सच्ची श्रद्धांजलि देना चाहते हैं।
(ख) भाषा-बोध
1. निम्नलिखित एकवचन शब्दों के बहुवचन रूप लिखिए
एकवचन बहुवचन एकवचन बहुवचन
रानी रानियाँ माला मालाएँ
समाधि समाधियाँ शाला शालाएँ
ढेरी ढेरियाँ चिता चिताएँ
प्यारी प्यारियाँ ज्वाला ज्वालाएँ
चिनगारी चिनगारियाँ बाला बालाएँ
कहानी कहानियाँ गाथा गाथाएँ
2. निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध करके लिखिए
अशुद्ध शुद्ध अशुद्ध शुद्ध
सुतंत्रता स्वतंत्रता आरति आरती
लघू लघु स्थलि स्थली
भगन भग्न आहूति आहुति
मुल्यवती मूल्यवती भसम भस्म
कशुद्र क्षुद्र कवीयों कवियों
श्रधा श्रद्धा जंतू जंतु