पाठ - 7 ममता (कहानी)
जयशंकर प्रसाद जी (कहानीकार)
अभ्यास
(क) विषय-बोध
1) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए :-
प्रश्न 1. ममता कौन थी?
उत्तर : ममता रोहतास दुर्ग के मंत्री चूड़ामणि की पुत्री थी।
प्रश्न 2. मंत्री चूड़ामणि को किस की चिंता थी?
उत्तर : मंत्री चूड़ामणि को अपनी जवान विधवा बेटी ममता के भविष्य तथा अपने दुर्ग की चिंता थी।
प्रश्न 3. मंत्री चूड़ामणि ने अपनी विधवा पुत्री ममता को उपहार में क्या देना चाहा ?
उत्तर : मंत्री चूड़ामणि ने अपनी विधवा पुत्री ममता को सोने-चाँदी के आभूषण उपहार में देने चाहे।
प्रश्न 4. डोलियों में छिपकर दुर्ग के अंदर कौन आए?
उत्तर : स्त्री-वेश में डोलियों में छिपकर दुर्ग के अन्दर शेरशाह के सिपाही आए।
प्रश्न 5. ममता रोहतास दुर्ग छोड़
कर कहाँ रहने लगी?
उत्तर : अपने पिता चूड़ामणि की मृत्यु के बाद ममता दुर्ग छोड़कर काशी के निकट बौद्ध विहार के खंडहरों में झोंपड़ी
बनाकर रहने लगी।
प्रश्न 6. ममता से झोंपड़ी में किसने आश्रय माँगा?
उत्तर : ममता से झोंपड़ी में सातों देशों के नरेश हुमायूँ ने आश्रय माँगा।
प्रश्न 7. ममता पथिक को झोंपड़ी में स्थान देकर स्वयं कहाँ चली गई?
उत्तर : ममता पथिक को झोंपड़ी में स्थान देकर स्वयं खंडहरों में रात बिताने के लिए चली गई।
प्रश्न 8. चौसा युद्ध किन-किन के मध्य हुआ?
उत्तर : चौसा युद्ध हुमायूँ और शेरशाह सूरी के मध्य हुआ।
प्रश्न 9. विश्राम के बाद जाते हुए पथिक ने मिरजा को क्या आदेश दिया?
उत्तर : विश्राम के बाद जाते हुए पथिक ने मिरजा को यह आदेश दिया- "मिरजा! उस स्त्री को मैं कुछ भी न दे सका। उसका घर बनवा देना, क्योंकि विपत्ति में मैंने यहाँ आश्रय पाया था। यह स्थान भूलना मत।"
प्रश्न 10. ममता की जीर्ण-कंकाल अवस्था में उसकी सेवा कौन कर रहीं थीं?
उत्तर : ममता की जीर्ण-कंकाल अवस्था में उसकी सेवा गाँव की स्त्रियाँ कर रही थीं। जिनके सुख-दुःख में ममता जीवन भर सहभागिनी रही।
2) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए :
प्रश्न 1. ब्राह्मण चूड़ामणि कैसे मारा गया?
उत्तर : ब्राह्मण चूड़ामणि रोहतास दुर्ग का मंत्री था। उसे अपनी विधवा बेटी ममता के भविष्य की चिंता रहती थी। जिसके कारण उसने म्लेच्छों से रिश्वत स्वीकार कर ली। दूसरे दिन डोलियों में भरकर स्त्री-वेश में शेरशाह सूरी के सिपाही रोहतास दुर्ग में प्रवेश कर गए। चूड़ामणि ने जब डोलियों का आवरण खुलवाना चाहा तो पठानों ने इसे महिलाओं का अपमान कहा। तभी वहाँ पर तलवारें खिंच गई और चूड़ामणि मारा गया।
प्रश्न 2. ममता ने झोंपड़ी में आए व्यक्ति की सहायता किस प्रकार की ?
उत्तर : एक रात जब ममता पूजा पाठ कर रही थी तब उसे एक भीषण आकृति वाला व्यक्ति अपने द्वार पर खड़ा दिखाई दिया, जो उससे आश्रय माँग रहा था। जब ममता को पता चला कि वह एक मुग़ल है तो वह उसकी मदद नहीं करना चाहती थी परंतु उसके अंदर 'अतिथि देवो भव' की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। इसलिए अतिथि की सेवा को अपना धर्म समझकर उसने उस मुग़ल को अपनी झोपड़ी में रात बिताने के लिए स्थान दे दिया और स्वयं खंडहरों में जाकर रात बिताई।
प्रश्न 3. ममता ने अपनी झोंपड़ी के द्वार पर आए अश्वारोही को बुलाकर क्या कहा ?
उत्तर : ममता ने अपनी झोंपड़ी के द्वार पर आए अश्वारोही को बुलाकर कहा कि वह नहीं जानती कि वह शहनशाह था या साधारण मुग़ल पर एक दिन इसी झोंपड़ी में वह ठहरा था। ममता ने सुना था कि वह उसका घर बनवाने की आज्ञा दे गया था। वह आजीवन अपनी झोंपड़ी खुदवाने के डर से भयभीत रही थी। परंतु आज वह अपने चिर विश्राम गृह में जा रही है, इसलिए अब तुम इसका मकान बनवाओ या महल, उसे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
प्रश्न 4. हुमायूँ द्वारा दिए गए आदेश का पालन कितने वर्षों बाद तथा किस रूप में हुआ?
उत्तर : हुमायूँ द्वारा दिए गए आदेश का पालन 47 वर्षों के बाद हुआ । हुमायूँ के बेटे अकबर ने अपने सैनिकों की सहायता से उस स्थान को ढूँढा जहाँ पर उसके पिता ने एक दिन के लिए विश्राम किया था। फिर वहाँ पर एक अष्टकोण मंदिर बनवाया गया। परंतु वहाँ पर ममता का कोई नाम नहीं था।
प्रश्न 5. मंदिर में लगाए शिलालेख पर क्या लिखा गया?
उत्तर : अकबर ने ममता की झोंपड़ी के स्थान पर एक अष्टकोण मंदिर बनवाया और उस पर एक शिलालेख लगाया गया। जिस पर लिखा था, ‘सातों देशों के नरेश हुमायूँ ने एक दिन यहाँ विश्राम किया था। उनके पुत्र अकबर ने उसकी स्मृति में यह गगनचुंबी मंदिर बनवाया।‘ शिलालेख पर इतना सब लिखा गया। परंतु हुमायूँ को आश्रय देने वाली ममता का कहीं कोई नाम नही था।
3) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 6 या 7 पंक्तियों में दीजिए :
प्रश्न :- 1.'ममता' का चरित्र चित्रण कीजिए ।
उत्तर:- 'ममता' श्री जयशंकर प्रसाद जी द्वारा रचित एक
ऐतिहासिक कहानी है। ममता इस कहानी की प्रमुख पात्रा है । उसके चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएं उभर
कर हमारे समक्ष आती हैं:-
1.कहानी की प्रमुख पात्रा:-
ममता इस कहानी की प्रमुख पात्रा है।सारी कहानी उसी के इर्द- गिर्द घूमती
है। उसी के नाम पर इस कहानी का नामकरण किया गया है ।
2.एक विधवा कन्या :-
ममता चूड़ामणि की पुत्री है। अल्पायु में ही उसके पति की मृत्यु हो चुकी
है।वह विधवा का जीवन व्यतीत कर रही है।
3.स्वाभिमानी भारतीय नारी :-
ममता हमारे सामने एक स्वाभिमानी भारतीय नारी के रूप में उभर कर आती है। जब
यवनों के द्वारा उनके राज्य पर अधिकार कर लिया जाता है तो अपने स्वाभिमान की रक्षा
हेतु वह बौद्ध विहार के खण्डहरों में रहने के लिए चली जाती है।
4.राष्ट्रप्रेम की भावना से परिपूर्ण :-
ममता में राष्ट्रप्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी हुई है। वह अपने
राष्ट्रप्रेम के कारण ही पिता के द्वारा ली हुई रिश्वत को लौटाने का आग्रह करती
है।
5.धर्मपरायण :-
ममता अपने धर्म का पालन करना अच्छे से जानती है ।यह जानते हुए भी कि उसके
पिता की हत्या यवनों के हाथों हुई है ,
अपनी धर्मपरायणता तथा अतिथि देवो भव: के धर्म का पालन करने हेतु वह एक मुगल
को अपनी झोपड़ी में आश्रय देती है ।
6.परोपकारी :-
ममता स्वभाव से परोपकारी है। वह आजीवन सभी के दुख - सुख की सहभागिनी रही ।
इसलिए उसके अंत समय में गाँव की स्त्रियाँ उसकी सेवा के लिए उसको घेर कर बैठी थीं।
प्रश्न :- 2.'ममता'
कहानी से आपको क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर:- 'ममता' कहानी 'श्री जयशंकर प्रसाद' जी द्वारा रचित एक ऐतिहासिक कहानी है। इस
कहानी के माध्यम से लेखक हमें निम्नलिखित शिक्षा प्रदान करना चाहते हैं:-
1 आदर्श जीवन जीने की शिक्षा :-
ममता कहानी के माध्यम से कहानीकार ने हमें कर्त्तव्यनिष्ठ, त्यागी व तपस्वी जीवन जैसे आदर्श गुणों को अपने जीवन में अपनाने की
शिक्षा दी है।
2. कर्त्तव्य पालन व त्याग :-
ममता कहानी के माध्यम से जयशंकर प्रसाद जी ने हमें कर्त्तव्य पालन व त्याग की शिक्षा
दी है। इस कहानी के माध्यम से कहानीकार बताना चाहता है कि परिस्थितियाँ चाहे कितनी
भी विकट क्यों न हों, हमें सदैव अपने कर्त्तव्य का पालन करना
चाहिए तथा आवश्यकता होने पर ममता की भाँति त्याग करने के लिए भी तत्पर रहना चाहिए।
3.अतिथि देवो भव: :-
कहानीकार श्री जयशंकर प्रसाद जी ने ममता के चरित्र के माध्यम से अतिथि देवो
भव: का संदेश भी जनमानस तक पहुँचाने का सफल प्रयास किया है। ममता में अतिथि देवो
भव: की भावना कूट- कूट कर भरी हुई है। इसी भावना से प्रेरित होकर वह हुमायूँ को
अपनी झोंपड़ी में रुकने के लिए स्थान देती है और स्वयं खण्डहरों में रात बिताती है।
4 भ्रष्टाचार का विरोध तथा देश प्रेम की
शिक्षा :-
ममता कहानी में श्री जयशंकर प्रसाद जी ने ममता के संवादों के माध्यम से
भ्रष्टाचार का विरोध किया है तथा रिश्वत ना लेने की शिक्षा दी है। इस कहानी में
उन्होंने देश के हित को सर्वोपरि मानते हुए देश से गद्दारी ना करने की शिक्षा भी
दी है।
5. धार्मिक भेदभाव को दूर करना :-
ममता कहानी हमें धार्मिक भेदभाव को दूर करने की शिक्षा भी देती है ।ममता एक
हिंदू होते हुए भी एक मुस्लमान की सहायता करती है ।
अत: इस प्रकार से हमें पथिक को आश्रय देना, परोपकार का बदला न चाहना तथा देश की
सभ्यता तथा संस्कृति की रक्षा करने की शिक्षा देने में श्री जयशंकर प्रसाद जी
द्वारा रचित यह कहानी पूर्णतया सफल रही है।
(ख) भाषा- बोध
1) निम्नलिखित शब्दों के विपरीत शब्द लिखिए :
विधवा -
सधवा स्वस्थ - अस्वस्थ सुख - दुःख |
स्वीकार -
अस्वीकार प्राचीन -
नवीन अपमान -
सम्मान |
2) निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए :
बरसात - वर्षा, बारिश
चंद्रमा - शशि, रजनीश
माता - माँ, जननी
पक्षी - नभचर, खग
रात - रजनी, रात्रि
लेखन - विनोद कुमार (हिंदी शिक्षक)स.ह.स.बुल्लेपुर,लुधियाना
गुरप्रीत कौर(हिंदी शिक्षिका) स ह स लापरा लुधियाना
किरन(हिंदी शिक्षिका) सरकारी मिडल स्कूल जोगेवाला (पटियाला)
संशोधक – डॉ॰ राजन (हिंदी शिक्षक)लोहारका
कलां, अमृतसर