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दरअसल दिखावे की ज़िंदगी बस पछतावे की ज़िंदगी बन कर रह जाती है.....

प्रशांत महासागर से हज़ारों फीट की ऊंचाई पर एक एयरबस तकरीबन तीन सौ यात्रियों के साथ उड़ रही थी। 

तभी अचानक दो फ़ाइटर जेट आसमान में दिखाई दिए और इस यात्री जहाज़ की तरफ उड़ने लगे। 

उसके कुछ पल बाद जब उनका आपस में रेडियो संपर्क हुआ तो लड़ाकू विमान के एक युवा पायलट ने एयरबस के बुजुर्ग पायलट से कहा, 'कितनी बोरिंग फ्लाइट है तुम्हारी। देखो, मैं आपकी इस उड़ान को कैसे दिलचस्प बना देता हूँ ??

यह कहने के बाद, उसने अचानक अपनी गति पकड़ ली और एयरबस के चारों ओर तब तक कलाबाज़ियाँ दिखाता रहा,जब तक समुद्र का स्तर निकट नहीं आया, वहां से वह ऊपर गया, साउंड बैरियर को तोड़ दिया, मुड़ गया और एयरबस की तरफ आ गया। 

अब उत्तेजित स्वर में उसने फिर पूछा ....कैसा लगा?

एयरबस पायलट ने कहा कि यह कुछ भी नहीं है। अब आप देखिए मैं क्या दिखाता हूं ??

दोनों फ़ाइटर देखने लगे। 

समय बीत रहा था लेकिन विमान सीधा उड़ रहा था। काफी समय बाद एयरबस के सीनियर पायलट का एक रेडियो संदेश आया जिसमें पूछा गया कि आपको कैसा लगा? 

युवा फाइटर पायलट ने कहा, "लेकिन बॉस, आपने क्या किया है?" ?

एयरबस के पायलट ने कहा, सबसे पहले मैं बाथरूम गया उसके बाद रास्ते में कुछ लोगों से बातचीत हुई। फिर मैंने शांति से खड़े होकर चॉकलेट कॉफी पी और अब मैं वापस आ गया हूं। क्या आप यह कर सकते हैं ? अगर दम है तो ये करके दिखाओ ??

दोनों फाइटर खामोश हो गए ।
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नौजवानी का दौर बस ऐसा ही होता है। दूसरों की झूठी वाह वाही के लिए हमेशा तमाशा दिखाते रहने से अक्सर ख़ुद का ही तमाशा बन जाता है औऱ जब जीवन में वक़्त निकल जाता है, तब पता चलता है कि लोगों को प्रभावित करने की कोशिश में ख़ुद का कितना कुछ बर्बाद हो चुका है ।

दरअसल दिखावे की ज़िंदगी बस पछतावे की ज़िंदगी बन कर रह जाती है.....