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कक्षा-नौवीं ,पाठ - 3(कर्मवीर) (अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध')

 

                                                                      पाठ - 3

                                                                     कर्मवीर                  

                                                     (अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध')

सप्रसंग व्याख्या :-

1) देख कर बाधा विविध, बहु विघ्न घबराते नहीं।

 रह भरोसे भाग के दुख भोग पछताते नहीं।

 काम कितना ही कठिन हो किंतु उबताते नहीं

भीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहीं।।

 हो गए एक आन में उनके बुरे दिन भी भले

सब जगह सब काल में वे ही मिले फूले फले।।

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्वारा रचित कविता 'कर्मवीर' में से ली गई हैं, जिसमें कवि ने कर्मशील लोगों के गुणों पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या :- कवि कहते हैं कि कर्मशील व्यक्ति अपने रास्ते में आने वाली अनेक प्रकार की रुकावटों और विघ्नों को देखकर घबराते नहीं हैं। वे भाग्य के भरोसे रह कर दु: भोग कर पछताते नहीं हैं। उन्हें चाहे कितना भी कठिन काम करना पड़े लेकिन फिर भी वे उस काम से उकताते नहीं हैं। वे कभी भी भीड़ में चंचल बनकर अपनी वीरता नहीं दिखलाते हैं। उनकी मेहनत से उनके बुरे दिन भी भले बन जाते हैं। वे सभी स्थानों तथा सभी समय में खुशहाल और प्रसन्न दिखाई देते हैं।

2) आज करना है जिसे करते उसे हैं आज ही

सोचते कहते हैं जो कुछ कर दिखाते हैं वही

मानते जो भी है सुनते हैं सदा सबकी कही

 जो मदद करते हैं अपनी इस जगत में आप ही

 भूल कर वे दूसरों का मुँह कभी तकते नहीं

 कौन ऐसा काम है वे कर जिसे सकते नहीं।।

 प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्वारा रचित कविता 'कर्मवीर' में से ली गई हैं, जिसमें कवि ने कर्मशील लोगों के गुणों पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या :- कवि कहते हैं कि कर्मशील व्यक्ति जो काम आज करना है, उसे आज ही करके दिखलाते हैं। वे जो कुछ भी सोचते हैं और जो कुछ भी कहते हैं, उसे करके दिखलाते हैं। कर्मशील व्यक्ति सबकी बातें सुनते हैं और मानते भी हैं। ऐसे कर्मशील व्यक्ति इस दुनिया में अपनी मदद आप ही करते हैं और वे भूलकर भी कभी दूसरों का सहारा नहीं ताकते। इस दुनिया में ऐसा कौन-सा काम है जो कर्मशील व्यक्ति नहीं कर सकते।

3) जो कभी अपने समय को यों बिताते हैं नहीं

 काम करने की जगह बातें बनाते हैं नहीं

 आज कल करते हुए जो दिन गँवाते हैं नहीं

यत्न करने से कभी जो जी चुराते हैं नहीं

बात है वह कौन जो होती नहीं उनके लिए

 वे नमूना आप बन जाते हैं औरों के लिए।।

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्वारा रचित कविता 'कर्मवीर' में से ली गई हैं, जिसमें कवि ने कर्मशील लोगों के गुणों पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या :-  कवि कहते हैं कि कर्मशील व्यक्ति कभी भी अपने समय को व्यर्थ नहीं गँवाते। वे काम करने की जगह पर केवल बातें नहीं बनाते हैं। वे आज-कल या टाल-मटोल करते हुए अपने समय को नहीं बिताते हैं। वे कभी भी मेहनत करने से इन्कार नहीं करते। दुनिया में ऐसा कौन-सा कार्य है जिसे वे नहीं कर सकते, वे तो स्वयं कार्य करके दूसरों के लिए आदर्श बन जाते हैं।

4) व्योम को छूते हुए दुर्गम पहाड़ों के शिखर

 वे घने जंगल जहाँ रहता है तम आठों पहर

 गर्जते जल राशि की उठती हुई ऊँची लहर

आग की भयदायिनी फैली दिशाओं में लपट

 ये कँपा सकती कभी जिसके कलेजे को नहीं

 भूलकर भी वह नहीं नाकाम रहता है कहीं।

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्वारा रचित कविता 'कर्मवीर' में से ली गई हैं, जिसमें कवि ने कर्मशील लोगों के गुणों पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या :-  कवि कहते हैं कि कर्मशील व्यक्ति अपने परिश्रम से आसमान की ऊँचाइयों को छू लेते हैं। वे पर्वतों की कठिन चोटियों पर भी चढ़ जाते हैं। वे  उन घने जंगलों को भी पार कर जाते हैं जहाँ हर वक्त अंधेरा छाया रहता है। समुद्र में उठने वाली पानी की ऊँची- ऊँची लहरें तथा आग की भय पैदा करने वाली चारों दिशाओं में फैली लपटों का भी सामना आसानी से कर लेते हैं। इनसे कभी भी उनका ह्रदय काँपता नहीं है। वे भूल कर भी कभी किसी काम में असफल नहीं होते हैं।

                                                                                                                                                                                                                        अभ्यास

                                                           () विषय-बोध

1) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए---

i) जीवन में बाधाओं को देखकर वीर पुरुष क्या करते हैं?

उत्तर - जीवन में बाधाओं को देखकर  वीर पुरुष कभी भी घबराते नहीं हैं। वे कठिन से कठिन काम भी कर लेते हैं।

ii) कठिन से कठिन काम के प्रति कर्मवीर व्यक्ति का दृष्टिकोण कैसा होता है?

उत्तर - कठिन से कठिन काम से कर्मवीर व्यक्ति कभी भी तंग नहीं होते हैं।

iii) सच्चे कर्मवीर व्यक्ति समय का सदुपयोग किस प्रकार करते हैं?

उत्तर- सच्चे कर्मवीर व्यक्ति आज का काम आज ही करके समय का सदुपयोग करते हैं और वे व्यर्थ की बातों में अपना समय नहीं गँवाते हैं।

iv) मुश्किल काम करके वे दूसरों के लिए क्या बन जाते हैं?

उत्तर- मुश्किल काम करके कर्मवीर व्यक्ति दूसरों के लिए आदर्श बन जाते हैं।

v) कवि ने कर्मवीर व्यक्ति के कौन-कौन से गुण इस कविता में बताए हैं?

उत्तर-कवि ने कर्मवीर व्यक्ति के परिश्रमी, निडर, समय का सदुपयोग करने वाला, कठिन से कठिन स्थिति का सामना करने वाला तथा अपनी सहायता स्वयं करने वाला जैसे गुण बताए हैं।

                                                            () भाषा-बोध

1. '' ( संस्कृत भाषा के शब्द )                         '' ( हिंदी भाषा के शब्द )

कर्म                                                                         काम

मुख                                                                         मुँह

     उपर्युक्त '' भाग में 'कर्म' और 'मुख' शब्द संस्कृत भाषा के शब्द हैं। इनका हिंदी भाषा में भी ज्यों का त्यों प्रयोग होता है। इन शब्दों को 'तत्सम' शब्द कहते हैं। तत्+सम अर्थात् तत्सम  इसके समान। 'इसके समान' से अभिप्राय है - 'स्त्रोत भाषा के समान' हिंदी की 'स्त्रोत भाषा' संस्कृत है, अतः जो शब्द संस्कृत भाषा से हिंदी में ज्यों के त्यों अर्थात् बिना किसी परिवर्तन के ले लिए गए हैं उन्हें 'तत्सम' शब्द कहते हैं। जैसे : कर्म, मुख।

     उपर्युक्त ''भाग में 'कर्म' के लिए 'काम' 'मुख' के लिए 'मुँह' शब्दों का प्रयोग किया गया है। ये शब्द (काम, मुँह) संस्कृत से हिंदी में कुछ परिवर्तन के साथ आए हैं। इन्हें तद्भव शब्द कहते हैं। तद् + भव अर्थात 'उससे होने वाले' 'उससे होने वाले' से अभिप्राय है - संस्कृत भाषा से विकसित होने वाले। अतः वे संस्कृत शब्द जो हिंदी में कुछ परिवर्तन के साथ आते हैं- उन्हें 'तद्भव' शब्द कहते हैं। जैसे- काम, मुँह।

1.पाठ में आए निम्नलिखित तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए-  

तद्भव       -      तत्सम

भाग        -       अंश

आठ       -       अष्ट

तद्भव       -      तत्सम

पहर       -       प्रहर

आग       -      अग्नि

 

2. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उन्हें अपने वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए -

    मुहावरा                               अर्थ                                  वाक्य

1) एक ही आन में           (तुरंत, शीघ्र ही)                       कर्मवीर लोगों के एक ही आन में बुरे दिन भले बन जाते हैं।

2) फूलना फलना           (संपन्न होना)                         कर्मवीर लोगों का प्रत्येक कार्य खूब फलता फूलता है।

3) मुँह ताकना                 (दूसरों पर निर्भर रहना)        कर्मवीर व्यक्ति कभी भी किसी काम के लिए दूसरों का मुँह नहीं ताकते।

4) बातें बनाना              (गप्पें मारना)                          कर्मवीर व्यक्ति बातें बनाने में अपना समय नहीं गँवाते।

5) जी चुराना                (काम से बचना )                    हमें कभी भी काम से जी नहीं चुराना चाहिए।

6) नमूना बनना            (आदर्श/ उदाहरण बनना)   कर्मवीर व्यक्ति स्वयं काम करके दूसरों के लिए नमूना बन जाते हैं।

7) कलेजा काँपना          (भय से विचलित होना, दिल दहल जाना )      कर्मवीर लोगों का किसी भी कठिन कार्य को देख कर कलेजा  नहीं काँपता।