पाठ – 11 (ii) अहसास (लघुकथा) उषा आर. शर्मा (कहानीकार)
अभ्यास
विषय - बोध
1) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए :-
प्रश्न 1. दिवाकर की नए स्कूल में किसने मदद की ?
उत्तर :- दिवाकर की नए स्कूल में अध्यापिका नीरू मैडम ने मदद की।
प्रश्न 2. स्कूल बस में छात्र-छात्राएँ कहाँ जा रहे थे ?
उत्तर :- स्कूल बस में छात्र-छात्राएँ शैक्षिक भ्रमण के लिए रोज़ गार्डन जा रहे थे।
प्रश्न 3. छात्राएँ बस में क्या कर रही थीं ?
उत्तर :- छात्राएँ बस में अंताक्षरी खेल रही थीं।
प्रश्न 4. दिवाकर बस में बैठा क्या देख रहा था ?
उत्तर :- दिवाकर बस में बैठकर खिड़की के बाहर वृक्षों को तथा दूर तक फैले आसमान को देख रहा था।
प्रश्न 5. दिवाकर को अपने मन में अधूरेपन का अहसास क्यों होता था ?
उत्तर :- दिवाकर अपाहिज था और दूसरे बच्चों की भाँति उछल-कूद नहीं सकता था। इसलिए उसे अपने मन में अधूरे पन का अहसास होता था।
प्रश्न 6. कार्यक्रम के दौरान छात्र-छात्राएँ क्या देख कर डर गए ?
उत्तर :- कार्यक्रम के दौरान छात्र-छात्राएँ साँप को देखकर डर गए।
२. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में दीजिए :-
प्रश्न 1. दिवाकर बैंच पर बैठकर क्या सोच रहा था ?
उत्तर :- रोज़ गार्डन में सभी बच्चे उछल कूद रहे थे और झूलों का आनंद ले रहे थे। दिवाकर एक बैंच पर बैठ गया था। उनको देखकर दिवाकर को दो साल पहले की बात याद आ गई , जब वह अपनी बड़ी मौसी के पास दिल्ली गया था और फन सिटी में उसने भी बहुत मस्ती की थी।
प्रश्न 2. साँप को देखकर दिवाकर क्यों नहीं डरा ?
उत्तर :- शहर आने से पहले दिवाकर गाँव के स्कूल में पढ़ता था। वह गाँव में खेतों में कई बार साँप और अन्य जानवरों को देख चुका था। साँप को देखना उसके लिए कोई नई बात नहीं थी, इसीलिए वह साँप को देखकर नहीं डरा।
प्रश्न 3. दिवाकर ने अचानक साँप को सामने देखकर क्या किया ?
उत्तर :- रोज़ गार्डन में इतने बड़े साँप को अचानक अपने सामने देखकर छात्र-छात्राओं के चेहरे का रंग उड़ गया परंतु दिवाकर बिल्कुल भी नहीं घबराया। किसी को कुछ नहीं सूझ रहा था। ऐसे में दिवाकर चीते की सी फुर्ती के साथ वहाँ पहुँच गया। उसकी निगाहें साँप पर थीं और उसने अचानक अपनी बैसाखी से साँप को उठाकर दूर फेंक दिया।
प्रश्न 4. दिवाकर को क्यों पुरस्कृत किया गया ?
उत्तर :- रोज़ गार्डन में दिवाकर ने साँप को बड़ी बहादुरी से दूर फेंक कर सभी बच्चों और अध्यापक की जान बचाई थी। इसीलिए उसकी सूझबूझ व बहादुरी के कारण प्रातःकालीन सभा में प्राचार्य महोदय ने उसे पुरस्कृत किया और उसे अपनी पूर्णता का अहसास दिलाया।
प्रश्न 5. लघुकथा 'अहसास' का उद्देश्य क्या है ?
उत्तर :- 'अहसास' लघुकथा शारीरिक चुनौतियों का सामना करने वाले बच्चों में आत्मविश्वास जगाने वाली एक प्रेरणादायक लघुकथा है। दिवाकर के माध्यम से लेखिका यह बताना चाहती है कि शारीरिक चुनौतियों का सामना करने वाले बच्चे किसी से कम नहीं हैं। अगर किसी कारणवश उनमें कुछ कमी आ गई है तो ईश्वर ने उन्हें कुछ खास भी दिया है, जो दूसरों के पास नहीं है। बस उस 'खास' के अहसास की ज़रूरत होती है। इसी के साथ यह बतलाना भी लेखिका का उद्देश्य है कि अध्यापकों का सहयोग व सौहार्दपूर्ण व्यवहार इस प्रकार के बच्चों को बहुत मदद देता है। अतः लेखिका अपने उद्देश्य को स्पष्ट करने में पूर्ण रूप से सफल भी रही है।
प्रश्न 6. 'अहसास' नामकरण की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :- 'अहसास' कहानी का नामकरण उसकी मूल भावना पर आधारित है। यह शीर्षक अत्यंत आकर्षक व भावपूर्ण है। कहानी का मुख्य पात्र दिवाकर अपाहिज होने के कारण स्वयं को अपूर्ण समझता है, परंतु जब वह एक साँप से सभी की रक्षा करता है तो प्रातः कालीन सभा में प्राचार्य महोदय उसे सम्मानित करते हैं। तब तालियों की गड़गड़ाहट में उसे भी अपनी पूर्णता का अहसास होता है। उसके नीरस जीवन में सरसता का संचार हो जाता है। उसके मन का बदला हुआ यह भाव और अहसास ही इस कहानी का शीर्षक बना है। इस प्रकार इस कहानी का शीर्षक सर्वथा सार्थक है क्योंकि सारी कहानी इसी शीर्षक के साथ जुड़ी हुई है और इसी के इर्द-गिर्द घूमती है।
(ख) भाषा - बोध
१. निम्नलिखित शब्दों के विशेषण शब्द बनाएँ :-
खामोशी - खामोश
सम्मान - सम्मानित
रंग - रंगीन
व्यवहार - व्यावहारिक
बहादुरी - बहादुर
हिम्मत - हिम्मती
२. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझ कर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए :-
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चेहरे का रंग उड़ जाना (डर जाना) अचानक साँप को अपने सामने देखकर सभी के चेहरे का रंग उड़ गया।
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पीठ थपथपाना (शाबाशी देना) परीक्षा में प्रथम आने पर दिवाकर के पिताजी ने उसकी पीठ थपथपाई।
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जान में जान आ जाना (राहत महसूस करना) जब दिवाकर ने साँप को दूर फेंक दिया तो सभी की जान में जान आ गई।
लेखन - विनोद कुमार (हिंदी शिक्षक)स.ह.स.बुल्लेपुर,लुधियाना
गुरप्रीत कौर(हिंदी शिक्षिका) स ह स लापरा लुधियाना
संशोधक – डॉ॰ राजन (हिंदी शिक्षक)लोहारका
कलां, अमृतसर