Showing posts with label पाठ - 18 सूखी डाली (एकांकी) कक्षा-दसवीं. Show all posts
Showing posts with label पाठ - 18 सूखी डाली (एकांकी) कक्षा-दसवीं. Show all posts

पाठ - 18 सूखी डाली (एकांकी) कक्षा-दसवीं

 

पाठ - 18

सूखी डाली (एकांकी)

उपेंद्रनाथ अश्क (रचनाकार)

अभ्यास

(क) विषय बोध

1) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए :

प्रश्न 1. दादा मूराज के बड़े पुत्र की मृत्यु कैसे हुई ?

उत्तर : दादा मूलराज के बड़े पुत्र की मृत्यु 1914 के महायुद्ध में सरकार की ओर से लड़ते-लड़ते हुई।

प्रश्न 2. 'सूखी डाली' एकांकी में घर में काम करने वाली नौकरानी का क्या नाम था?

उत्तर: घर में काम करने वाली नौकरानी का नाम रजवा था।

प्रश्न 3. बेला का मायका किस शहर में था?

उत्तर : बेला का मायका लाहौर शहर में था।

प्रश्न 4. दादा जी की पोती इन्दु ने कहाँ तक शिक्षा प्राप्त की थी?

उत्तर : दादा जी की पोती इन्दु ने प्राइमरी स्कूल तक शिक्षा प्राप्त की थी।

प्रश्न 5. 'सूखी डाली' एकांकी में दादा जी ने अपने कुटुम्ब की तुलना किससे की है?

उत्तर : 'सूखी डाली' एकांकी में दादा जी ने अपने कुटुम्ब की तुलना वट के महान वृक्ष से की है।

प्रश्न 6. बेला ने अपने कमरे में से फर्नीचर बाहर क्यों निकाल दिया?

उत्तर : बेला ने अपने कमरे का फर्नीचर बाहर इसलिए निकाल दिया क्योंकि वह पुराना हो गया था और टूट-फूट भी गया था।

प्रश्न 7. दादा जी पुराने नौकरों के हक में क्यों थे?

उत्तर : दादा जी पुराने नौकरों के हक में इसलिए थे क्योंकि वे ईमानदार और विश्वसनीय होते हैं।

प्रश्न 8. बेला ने मिश्रानी को काम से क्यों हटा दिया?

उत्तर : बेला ने मिश्रानी को काम से इसलिए हटा दिया क्योंकि बेला के अनुसार उसे ढंग से काम करना नहीं आता था और उसे काम का सलीका भी नहीं था।

प्रश्न 9. एकांकी के अंत में बेला रुंधे कंठ से क्या कहती है?

उत्तर - एकांकी के अंत में बेला रुंधे कंठ से दादा जी को कहती है कि आप पेड़ से किसी डाली का टूट कर अलग होना पसंद नहीं करते, पर क्या आप यह चाहेंगे कि पेड़ से लगी-लगी वह डाल सूख कर मुरझा जाए।

2) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में दीजिए :

प्रश्न 1. एकांकी के पहले दृश्य में इन्दु बिफरी हुई क्यों दिखाई देती है?

उत्तर : एकांकी के पहले दृश्य में इन्दु बिफरी हुई दिखाई देती है क्योंकि उसके अनुसार नई बहू अपने मायके और अपने सामने किसी को कुछ नहीं समझती। उसने आते ही मिश्रानी को काम से हटा दिया क्योंकि नई बहू के अनुसार मिश्रानी को काम करना नहीं आता। इंदु ने जब उसे समझाया कि वह काम करना सीख जाएगी और हमें नौकरों से काम लेने की भी तमीज़ होनी चाहिए तो उसने इंदु को कह दिया कि वह तमीज़ तो केवल आप लोगों में ही है। इस प्रकार नई बहू से कहा-सुनी होने के कारण इंदु बिफरी हुई दिखाई देती है।

प्रश्न 2. दादा जी कर्मचंद की किस बात से चिंतित हो उठते हैं?

उत्तर : दादा जी कर्मचंद से परेश के घर से अलग होने की बात सुनकर चिंतित हो उठते हैं क्योंकि उनके अनुसार उनका परिवार बरगद के पेड़ के समान है। अगर एक बार पेड़ से कोई डाली टूट जाती है तो उसे कितना ही पानी क्यों न दिया जाए उसमें सरसता कभी नहीं आती और वे कभी नहीं चाहते कि उनके परिवार रूपी पेड़ से कोई भी डाली टूट कर अलग हो जाए या उनका परिवार किसी भी कीमत पर टूट जाए।

प्रश्न 3. कर्मचंद ने दादा जी को छोटी बहू बेला के विषय में क्या बताया?

उत्तर : कर्मचंद ने दादा जी को छोटी बहू बेला के विषय में बताते हुए कहा कि उनका विचार है कि छोटी बहू में दर्प की मात्रा ज़रूरत से कुछ ज़्यादा है। उन्होंने जो मलमल के थान और रज़ाई के अबरे ला कर दिए थे, वह सब ने रख लिए परंतु छोटी बहू को पसंद नहीं आए। शायद छोटी बहू अपने मायके के घराने को इस घराने से बड़ा समझती है और इस घर को घृणा की दृष्टि से देखती है।

प्रश्न 4. परेश ने दादा जी के पास जाकर अपनी पत्नी बेला के सम्बन्ध में क्या बताया?

उत्तर: परेश ने दादा जी के पास जाकर अपनी पत्नी बेला के सम्बन्ध में बताया कि बेला को कोई भी पसंद नहीं करता। सब उसकी निंदा करते हैं। परेश दादा जी से कहता है कि बेला के अनुसार सब उसका अपमान करते हैं, हँसी उड़ाते हैं और समय नष्ट करते हैं। वह ऐसा महसूस करती है जैसे कि परायों में आ गई हो। उसे यहाँ पर कोई भी अपना दिखाई नहीं देता।

प्रश्न 5. जब परेश ने दादा जी से कहा कि बेला अपनी गृहस्थी अलग बसाना चाहती है तो दादा जी ने परेश को क्या समझाया?

उत्तर : जब परेश ने दादा जी से कहा कि बेला अपनी अलग गृहस्थी बसाना चाहती है तो दादा जी ने कहा कि उनके जीते जी यह संभव नहीं है। उन्होंने सदा इस परिवार को एक महान वट वृक्ष के रूप में देखा है जिसे वह टूटते हुए नहीं देख सकते। उन्होंने परेश को यह विश्वास दिलाया कि वे घर में सभी को समझा देंगे। कोई भी बेला का अपमान नहीं करेगा, उसका समय नष्ट नहीं करेगा। उसे वही आदर सत्कार यहाँ पर भी मिलेगा जो उसे अपने घर में प्राप्त था। वह अपने आप को परायों में घिरा महसूस नहीं करेगी।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 6 या 7 पंक्तियों में दीजिए :

प्रश्न 1. इंदु को बेला की कौन-सी बात सबसे अधिक परेशान करती है? क्यों?

उत्तर : इंदु बेला की ननद है। बेला के घर में आने से पहले वह सबसे अधिक पढ़ी-लिखी समझी जाती थी। घर में उसकी खूब चलती थी। परंतु बेला उससे अधिक पढ़ी लिखी है और वह हर बात में अपने मायके की बात करती है। बेला ने घर में आते ही मिश्रानी को यह कह कर काम से हटा दिया कि उसे काम करना नहीं आता। इंदु जब उसे कहती है कि हमें नौकरों से भी काम लेने की तमीज़ होनी चाहिए तो बेला उसे यह कह देती है कि वह ढंग उसे नहीं आता । उसके मायके में तो ऐसे नौकर घड़ी भर भी नहीं टिकते। इस प्रकार बेला का बात-बात में अपने मायके की बात करना और हर बात में अपने मायके के घराने को अच्छा बताना और इस घर को घृणा की दृष्टि से देखना इंदु को सबसे अधिक परेशान करता है।

प्रश्न 2. दादा जी छोटी बहू के अलावा घर के सभी सदस्यों को बुलाकर क्या समझाते हैं?

उत्तर : दादा जी छोटी बहू के अलावा घर के सभी सदस्यों को बुलाकर समझाते हैं कि वह बड़े घर की पढ़ी-लिखी लड़की है। यदि उसका यहाँ पर मन नहीं लगा तो उसमें दोष उसका नहीं हमारा है। कोई भी व्यक्ति उम्र या दर्जे से बड़ा नहीं होता, बुद्धि से बड़ा होता है। छोटी बहू उम्र में न सही परंतु बुद्धि में हम सबसे बड़ी है। इसलिए हमें उसकी बुद्धि का लाभ उठाना चाहिए। उसे वही आदर सत्कार देना चाहिए जो उसे अपने घर में प्राप्त था। सभी उसका कहना मानें, उस से परामर्श लें और उसके काम को आपस में बाँट लें। उसे पढ़ने-लिखने का अधिक अवसर दें ताकि उसे यह अनुभव न हो कि वह किसी दूसरे घर में आ गई है। साथ ही दादा जी यह चेतावनी भी देते हैं कि यदि किसी ने छोटी बहू का निरादर किया तो उसका नाता दादा जी से हमेशा के लिए टूट जाएगा।

प्रश्न 3. एकांकी के अंतिम भाग में घर के सदस्यों के बदले हुए व्यवहार से बेला परेशान क्यों हो जाती है?

उत्तर : एकांकी के अंतिम भाग में घर के सदस्यों के बदले हुए व्यवहार से बेला परेशान हो जाती है क्योंकि उसे उनका ऐसा व्यवहार बहुत ही ज्यादा औपचारिक प्रतीत होता है। सब उसको आदर देने लगते हैं। उसकी सलाह माँगने लगते हैं। उसको देख कर सब चुप हो जाते हैं। उसे कोई काम नहीं करने देते। उसे इतना अधिक आदर सत्कार और आराम भी अच्छा नहीं लगता उसे ऐसा महसूस होता है जैसे कि सभी उसके साथ जानबूझ कर ऐसा व्यवहार कर रहे हों।

प्रश्न:- 4. मँझली बहू के चरित्र की कौन सी विशेषताएं इस कहानी में सबसे अधिक दृष्टिगोचर होती है?

उत्तर:-

1. एकांकी की प्रमुख पात्रा :- 

                     मँझली बहू 'सूखी डाली' एकांकी की प्रमुख पात्रा है ।अपने विनोदी स्वभाव से वह  घर के आँगन को महका कर रखती है।

2 विनोदी :-

         मँझली बहू विनोदी स्वभाव की है। इस एकांकी में वह हँसी ठिठोली करने वाली हंसमुख स्वभाव की स्त्री के रूप में दृष्टिगोचर होती है। सारा दिन छोटी-छोटी बातों पर हँसती मुस्कुराती रहती है। किसी के विचित्र व्यवहार पर हँसना और ठहाके लगाना उसके लिए सामान्य सी बात है।

3.दादा जी का सम्मान करने वाली :-

                                घर के अन्य सदस्यों की तरह वह दादा जी का बहुत सम्मान करती है ।

4.परिवर्तनशील स्वभाव वाली :-

                          मँझली बहू परिवर्तनशील स्वभाव की है। जब दादा जी उसे समझाते हैं कि हमें अपनी हँसी उन लोगों तक ही सीमित रखनी चाहिए जो उसे सहन कर सकें तो वह बेला के प्रति अपने स्वभाव में परिवर्तन ले आती है।

प्रश्न:- 5. सूखी डाली एकांकी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

उत्तर:-

 1.अश्क जी के द्वारा रचित शिक्षाप्रद रचना :-

                                    प्रत्येक रचना के पीछे रचनाकार का कोई ना कोई उद्देश्य होता है । सूखी डाली भी उपेंद्रनाथ अश्क जी के द्वारा रचित शिक्षाप्रद परिवारिक एकांकी है।

2. बुजुर्गों का सम्मान करने की शिक्षा :-

                               सूखी डाली एकांकी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें घर के बड़े -बूढ़ों,बुजुर्गों , माता-पिता आदि का आदर करना चाहिए । उनके प्रति श्रद्धा भाव रखना चाहिए।

3. संयुक्त परिवार में रहने की शिक्षा :- 

                              इस एकांकी  के माध्यम से हमें एकांकीकार ने घर के सभी सदस्यों को मिल -जुल कर रहने की शिक्षा देने का भी प्रयास किया है। जिसमें कि अश्क जी पूर्णतया सफल भी रहे हैं‌।

4. विद्या का घमंड नहीं करने की शिक्षा :-  

                              एकांकी में बेला के चरित्र के माध्यम से अश्क जी ने विद्या पर घमंड ना करने की शिक्षा भी दी है। उन्होंने बताया है कि स्वयं को सुशिक्षित तथा सुसंस्कृत मानकर घमंड में चूर नहीं रहना चाहिए, अन्यथा घमंड में रहने वाला व्यक्ति परिवार के साथ रहते हुए भी सूखी डाली के समान जड़ बन कर रह जाता है।

5. पारिवारिक संघर्ष को सूझबूझ से हल करने की शिक्षा :- 

                                               सूखी डाली एकांकी  हमें घर में होने वाले संघर्ष को सूझ- बूझ से दूर करने की शिक्षा देती है।

प्रश्न 6. निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए :

• यह कुटुंब एक महान वृक्ष है। हम सब इसकी डालियाँ हैं। डालियों से ही पेड़ पेड़ है और डालियाँ छोटी हों चाहे बड़ी, सब उसकी छाया को बढ़ाती हैं। मैं नहीं चाहता, कोई डाली इससे टूटकर पृथक् हो जाए।

उत्तर - यह वाक्य दादा जी ने उस समय कहे जब उन्होंने छोटी बहू बेला के अतिरिक्त सभी को समझाने के लिए अपने पास बुलाया था। उनके अनुसार परिवार महान वृक्ष के समान होता है और परिवार के सभी सदस्य उस वृक्ष की डालियों के समान होते हैं। जिस प्रकार सभी डालियाँ मिलकर पेड़ बनाती हैं और उन्हीं डालियों से वह पेड़ पेड़ होता है चाहे वे डालियाँ छोटी हो या बड़ी। सभी उसकी छाया को बढ़ाती हैं। उसी प्रकार परिवार के सभी सदस्य चाहे वे छोटे हैं या बड़े। सभी मिलकर परिवार को बनाते हैं। घर के प्रत्येक सदस्य का अपना एक महत्व होता है। इसलिए वे नहीं चाहते कि इस परिवार रूपी वृक्ष से कोई भी डाली रुपी सदस्य टूट कर अलग हो जाए क्योंकि इससे इस परिवार का महत्व कम हो जाएगा।

ii) दादा जी, आप पेड़ से किसी डाली का टूटकर अलग होना पसंद नहीं करते, पर क्या आप यह चाहेंगे कि पेड़ से लगी-लगी वह डाल सूख कर मुरझा जाए.......।

उत्तर - ये वाक्य एकांकी के अंत में बेला ने दादा जी से कहे जब वह परिवार वालों के व्यवहार में परिवर्तन देखती है कि सब उसे आदर देते हैं, उसे कोई काम नहीं करने देते, उसे देखते ही सब सहम से जाते हैं। तब तो उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता। अब वह परिवार के साथ मिलजुल कर रहने का महत्व जान चुकी थी। इसलिए वह दादा जी से कहती है कि यदि उसके साथ सब ऐसा व्यवहार करेंगे तो वह परिवार से अलग तो नहीं होगी परंतु अंदर ही अंदर उदास होकर सूख जाएगी। इसलिए वह चाहती थी कि सभी उसके साथ सामान्य व्यवहार करें और उसे भी परिवार का हिस्सा मानें।

                                                             (ख) भाषा बोध

1) निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची लिखिए :

·         प्रतिष्ठा        -      मान, सम्मान, इज्जत

·         आकाश      -      गगन,नभ,आसमान

·         वृक्ष         -      पेड़,तरु,विटप

·         प्रसन्न          -      खुश,हर्षित,आनंदित

·         परामर्श       -      सलाह,सुझाव,राय

·         अवसर        -      मौका,समय,सुयोग

·         आदेश        -      आज्ञा,हिदायत, हुक्म

·         आलोचना    -      बुराई,समीक्षा,निंदा

 

2) निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए :

·         आकाश             पाताल

·         पसंद                 नापसंद

·         आदर                अनादर

·         झूठ                   सच

·         मूर्ख                  बुद्धिमान

·         घृणा                  प्रेम

 

·         आज़ादी              गुलामी

·         शान्ति                अशान्ति

·         प्रसन्न                 अप्रसन्न

·         निश्चय                अनिश्चय

·         इच्छा                 अनिच्छा

·         विश्वसनीय          अविश्वसनीय

 

3) निम्नलिखित समरूपी भिन्नार्थक शब्दों के अर्थ बताते हुए वाक्य बनाइए :

·         सूखी - शुष्क हो जाना, सूख जाना -  इस पेड़ की शाखाएँ सूखी हुई हैं।

·         सुखी - समृद्ध -  प्रत्येक व्यक्ति सुखी जीवन चाहता है।

·         सास  - पति या पत्नी की माता - मेरी सास बहुत अच्छी हैं।

·         साँस - श्वास - आज मुझे सांस लेने में परेशानी हो रही है।

·         कुल - वंश - राम जी उच्च कुल से संबंध रखते हैं।

·         कूल - किनारा - नदी के कूल पर कश्तियां खड़ी हैं।

·         और - तथा  - राम और श्याम अच्छे मित्र हैं।

·         ओर -की तरफ - मोहन मेरी ओर देख रहा है।

4) निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए :

           मुहावरा                       अर्थ                                          वाक्य

·         काम आना                  मर जाना                                   भारत-पाक युद्ध में अनेक सैनिक काम आए।

·         नाक-भौं चढ़ाना          घृणा या असंतोष प्रकट करना      बच्चे घिये की सब्ज़ी को देखकर नाक-भौं चढ़ाते हैं।

·         पारा चढ़ना                  क्रोधित होना                        ननद की जली-कटी बातें सुनकर भाभी का पारा चढ़ गया।

·         भीगी-बिल्ली बनना      सहम जाना                          दादा जी के सामने सभी भीगी बिल्ली बनकर खड़े हो गए।

·         मरहम लगाना             सांत्वना देना                           हमें किसी को दु:खी देखकर उसके घावों पर मरहम लगाने                                                                                                  

·                                                                                              का प्रयत्न करना चाहिए।

·         ठहाका मारना             ज़ोर से हँसना              मँझली भाभी की बातें सुनकर सभी ठहाका मार कर हँसने लगे।

·         खलल पड़ना      किसी काम में बाधा आना   अचानक वर्षा आ जाने के कारण शादी के काम में खलल पड़ गया।

·         कमर कसना       किसी काम के लिए निश्चय पूर्वक तैयार होना       सेना ने विरोधियों के खिलाफ युद्ध के लिए

                                                                                                               कमर कस ली।

 

लेखन   - विनोद कुमार (हिंदी शिक्षक)स.ह.स.बुल्लेपुर,लुधियाना

         गुरप्रीत कौर(हिंदी शिक्षिका) स ह स लापरा लुधियाना

संशोधक – डॉ॰ राजन (हिंदी शिक्षक)लोहारका कलां, अमृतसर