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कक्षा-नौवीं ,पाठ - 18( शिवाजी का सच्चा स्वरूप)

 

                                                                   पाठ 18

                                 शिवाजी का सच्चा स्वरूप

                                   (क) विषय बोध

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दें-

(i) शिवाजी कौन थे?

उत्तर- शिवाजी एक प्रसिद्ध मराठा वीर थे। उन्होंने मुग़लों के खिलाफ़ कई युद्ध लड़े थे।

(ii) मोरोपंत कौन था ?

उत्तर- मोरोपंत शिवा जी के राज्य में एक मुख्य सरदार था ।

(iii) आवाजी सोनदेव कौन था ?

उत्तर- आवाजी सोनदेव शिवाजी का एक सेनापति था ।

(iv) शिवा जी के सच्चे स्वरूप को दर्शाती इस पाठ की घटना किस समय की है?

उत्तर- शिवाजी के सच्चे स्वरूप को दर्शाती इस पाठ की घटना सन् 1648 ई० की है।

(v) मोरोपंत शिवाजी को आकर क्या शुभ समाचार देता है?

उत्तर- मोरोपंत शिवाजी के पास आकर यह शुभ समाचार देता है कि उनके सेनापतियों ने कल्याण प्रांत को जीत लिया है और वहाँ का ख़जाना लूट कर ले आए हैं।

(vi) आवाजी सोनदेव ने शिवा जी को सबसे बड़े तोहफ़े के बारे में क्या बताया ?

उत्तर- आवाजी सोनदेव ने बताया कि वे कल्याण के सूबेदार अहमद की सुंदर पुत्र वधू को उठा कर ले आए हैं।

(vii) शिवाजी की प्रसन्नता एकाएक लुप्त क्यों हो गई?

उत्तर- शिवाजी पर स्त्री को माँ के समान समझते थे लेकिन उनके सूबेदार अहमद की पुत्र वधू को उठा कर ले आए थे यह देखकर उनकी प्रसन्नता एकाएक लुप्त हो गई।

(viii) शिवाजी ने सूबेदार की पुत्र-वधू की सुरक्षा करते हुए क्या आश्वासन दिया?

उत्तर- शिवाजी ने सूबेदार की पुत्र-वधू को सुरक्षा प्रदान करते हुए यह आश्वासन दिया कि उन्हें पूरी इज़्ज़त और हिफ़ाज़त के साथ उनके पति के पास पहुँचा दिया जाएगा ।

(ix) शिवाजी पर-स्त्री को किसके समान मानते थे?

उत्तर- शिवाजी पर-स्त्री को माँ के समान समझते थे। वे सभी स्त्रियों का आदर करते थे।

(x) शिवाजी ने अंत में क्या घोषणा की ?

उत्तर- शिवाजी ने घोषणा की कि यदि भविष्य में कोई ऐसा कार्य करेगा तो उसका सिर उसी समय धड़ से अलग कर दिया जाएगा ।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन चार पंक्तियों में दीजिए-

(I) शिवाजी ने अपने सेनापति की ग़लती पर सूबेदार की पुत्र-वधू से किस प्रकार मुआफ़ी माँगी ?

उत्तर- अहमद की पुत्रवधू को सम्मान सहित संबोधन करते हुए शिवाजी ने कहा कि उनके सेनापति ने बहुत बड़ी ग़लती की है। सेनापति के इस घृणित कार्य के लिए उनसे मुआफ़ी माँगी और उन्हें आश्वासन दिलाया कि उन्हें उनके पति के पास पूरी इज़्ज़त और हिफ़ाज़त के साथ भेज दिया जाएगा ।

(ii) शिवा जी ने अपने सेनापति को किस प्रकार डाँट फटकार लगाई?

उत्तर- शिवाजी ने अपने सेनापति को डाँट फटकार लगाते हुए कहा कि तुमने बहुत ही घृणित कार्य किया है जिसके लिए तुम्हें कभी भी माफ़ नहीं कि या जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि यदि भविष्य में कोई ऐसा कार्य करेगा तो उसका सिर धड़ से अलग कर दिया जाएगा ।

(iii) शिवाजी किस तरह के सच्चे स्वराज्य की स्थापना करना चाहते थे?

उत्तर- शिवाजी हर धर्म को समान समझते थे। वे ऊँच-नीच या बड़े-छोटे में भेदभाव नहीं करते थे। वे चाहते थे कि एक ऐसे स्वराज्य की स्थापना की जाए जिसमें सभी बराबर हों। सभी सुख-शांति और  भाईचारे के साथ रहें। वे चाहते थे कि पर-स्त्रियों को माँ के समान समझा जाए और उन्हें विशेष सम्मान दिया जाए।

(iv) शिवाजी शील अर्थात सच्चरित्र को जीवन का आवश्यक अंग क्यों मानते थे?

उत्तर- शिवाजी शील अर्थात सच्चरित्र को जीवन का आवश्यक अंग इसलिए मानते थे क्योंकि उनका मानना था कि एक अच्छा चरित्र ही जीवन का मूल आधार होता है। अच्छे चरित्र से ही व्यक्ति का जीवन महान बनता है।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 6 या 7 पंक्तियों में दीजिए –

(i) “शिवाजी का सच्चा स्वरूप” पाठ के आधार पर शिवाजी का चरित्र चित्रण कीजिए?

उत्तर- शिवाजी एक मराठा वीर थे। उन्होंने मुग़लों के खिलाफ़ कई युद्ध लड़े तथा अनेक किलों का निर्माण करवाया । शिवाजी अपने सैनिकों के साथ बहुत अच्छा व्यवहार करते थे। जब उनके सैनिक कल्याण प्रांत जीतकर लौटे तो वे पैदल चल कर उनका हाल चाल पूछने के लिए गए। शिवाजी हिंदू और मुसलमान में कोई फर्क नहीं समझते थे। वे एक सच्चे स्वराज्य की स्थापना करना चाहते थे। शिवाजी अच्छे चरित्र वाले थे। वे सभी स्त्रियों का सम्मान करते थे। वे पर-स्त्री को माँ के समान मानते थे। स्त्रियों की इज्ज़त न करने वालों को वह घृणा की दृष्टि से देखते थे और उन्हें किसी भी प्रकार के घृणित कार्य के लिए दंड भी दिया जाता था । इस प्रकार शिवाजी अच्छे चरित्र की एक बेजोड़ उदाहरण हैं

(ii) इस पाठ से आपको क्या शिक्षा मिलती है?

उत्तर- सेठ गोविंद दास की एकांकी ‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप‘ से यह शिक्षा मिलती है कि यदि एक राज्य में सच्चा स्वराज्य हो तो ही प्रजा का कल्याण हो सकता है। किसी भी व्यक्ति को भले ही वह बड़े से बड़े पद का अधिकारी हो , कोई भी नीच या घृणित कार्य नहीं करना चाहिए। पर स्त्रियों को मां के समान समझना चाहिए। उनका आदर सम्मान करना चाहिएI यदि कोई व्यक्ति स्त्रियों का सम्मान न करे या कोई और घृणित कार्य करें तो उसे दंड दिया जाना चाहिएI किसी भी धर्म से नफ़रत नहीं करनी चाहिए। सभी धर्मों को एक समान समझना चाहिए। हर मनुष्य को अपनी सामाजिक व नैतिक ज़िम्मेदारियों   व मूल्यों को ध्यान में रखते हुए अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए।

(iii). शिवाजी का सच्चा स्वरूप एकांकी के नाम की सार्थकता अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर– सेठ गोविंद दास जी की एकांकी “शिवाजी का सच्चा स्वरूप” का नाम सार्थक सिद्ध होता है क्योंकि उन्होंने इसमें शुरू से लेकर अंत तक शिवाजी के चरित्र और उनके सच्चे स्वरूप का ही वर्णन करने का प्रयत्न किया है। शिवाजी के शौर्य तथा पराक्रम का बहुत ही सुंदर चित्रण एकांकी में किया गया है। देश की शक्तियों को इकट्ठा कर एक नए स्वराज्य की स्थापना किस प्रकार की जाए, यह भी एकांकी में दर्शाया गया है। वे अपराजेय शक्ति , शौर्य और पराक्रम का साक्षात रूप थे। विदेशी शासकों के अत्याचारों से उन्होंने निरंतर लोहा लिया । उनका साम्राज्य मानव मूल्यों की आधारशिला पर टिका हुआ था । शिवाजी शीलवान और चरित्रवान पुरुष थे। उनका मानना था कि शिवा में शील (चरित्र) होना आवश्यक था क्योंकि उनमें शील होने पर ही सेनापति और सरदारों में भी शील हो सकता है। बिना चरित्र के लुटेरों , डाकुओं और उनमें कोई अंतर नहीं रहता । इस प्रकार हम कह सकते हैं कि एकांकी का यह नाम बिल्कुल सार्थक है।

 

(iv). निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए –

(क) आवाजी , तुम मेरी परीक्षा लेना चाहते थे। इसलिए तो तुमने यह कार्य नहीं किया ?

उत्तर- ये पंक्तियाँ शिवाजी ने अपने सेना पति आवाजी सोनदेव से तब कहीं जब वह कल्याण के सूबेदार अहमद की पुत्रवधू को एक पालकी में लेकर आए। शिवाजी उनके इस प्रकार के काम से बहुत दु:खी हुए और उसे डाँटने लगे कि उसने ऐसा घृणित कार्य क्यों किया है। शिवाजी उसे कहते हैं कि इस कार्य के लिए उसे कभी भी माफ़ नहीं किया जा सकता । शिवाजी कहते हैं कि क्या उसने इस घृणित कार्य को उसकी परीक्षा लेने के लिए तो नहीं किया । उसने यह सोचकर ऐसा किया होगा उनके इस बुरे काम पर विश्वास ही नहीं हो रहा था ।

(ख) पेशवा , यह… मेरे…. मेरे एक सेनापति ने…… मेरे एक सेनापति ने क्या…. क्या कर डाला । लज्जा से मेरा सिर आज पृथ्वी में नहीं , पाताल में घुसा जाता है। इस पाप का ना जाने मुझे कैसा…. कैसा प्रायश्चित करना पड़ेगा ?

उत्तर- ये पंक्तियाँ शिवाजी ने मोरोपंत से बहुत दु:खी होते हुए उस समय कहीं जब आवाजी सोनदेव कल्याण की पुत्र-वधू को उठा कर भेंट के रूप में शिवाजी के लिए ले आए। शिवाजी को इस घृणित कार्य के फल स्वरुप अपने क्षोभ की अभिव्यक्ति करने में बड़ी कठिनाई होती है। इस बात पर विश्वास नहीं होता कि ऐसा बुरा काम उनके ही सेना पति ने किया है इसके लिए शिवाजी को लज्जा आती है और उनका सिर शर्म से झुक जाता है और वह प्रायश्चित करते हुए कहते हैं कि आज उनका सिर धरती में नहीं पाताल में भी घुस जाए तो भी वह सैनिकों के इस घृणित कार्य से मुक्त नहीं हो पाएँगे

(ख) भाषा बोध

(i) निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध करके लिखें

अशुद्ध          शुद्ध      

दलान               दालान      

सुसजित          सुसज्जित

वेषभूशा         वेशभूषा

गबराहट           घबराहट      

हिंदु                   हिंदू      

मसजिद            मस्जिद

श्रेसकर            श्रेयस्कर

अशुद्ध              शुद्ध

सेनापती             सेनापति 

उपसथित            उपस्थित      

मुसकुराना          मुस्कुराना

खुबसूरती           खूबसूरती

सुराजय            स्वराज्य 

घृणीत                  घृणित

प्राशचित              प्रायश्चित                                 

(ii). निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उन्हें वाक्यों में प्रयोग कीजिए

(क) भृकुटि चढ़ाना ( गुस्सा आ जाना ) सेनापति के घृणित कार्य को देखकर शिवाजी की भृकुटी चढ़ गई।

(ख) (नीचे का ) होंठ (ऊपर के) दाँतो के नीचे आना (बहुत गुस्सा आ जाना ) माता जी का अपमान होते हुए देख राधा का होंठ दातों के नीचे आना स्वभाविक था ।

(ग) सिर पर चढ़ाना (आदर सम्मान करना ) रमेश अपने घर में लाडला है। इसलिए सभी ने उसे सिर पर चढ़ा रखा है।

(घ) बाल बराबर दरार न आने देना (थोड़ा -सा भी नुकसान न होने देना  ) मुसीबत के समय एक माँ अपने बच्चों पर बाल बराबर दरार नहीं आने देती ।