पाठ-12
मित्रता
(आचार्य रामचंद्र शुक्ल)
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए:
1. घर से बाहर निकल कर बाहरी संसार में विचरने पर युवाओं के सामने पहली कठिनाई क्या आती है ?
उत्तर-घर से बाहर निकल कर बाहरी संसार में विचरने पर युवाओं के सामने पहली कठिनाई मित्र चुनने की आती है।
2. हमसे अधिक दृढ़ संकल्प वाले लोगों का साथ बुरा क्यों हो सकता है ?
उत्तर- ऐसे लोगों का साथ हमारे लिए बुरा है, जो हम से अधिक दृढ़ संकल्प के हैं क्योंकि हमें उनकी हर बात बिना विरोध के मान लेनी पड़ती है।
3. आजकल लोग दूसरों में कौन-कौन सी दो-चार बातें देखकर चटपट
उसे अपना मित्र बना लेते हैं ?
उत्तर- आजकल लोग किसी का हँसमुख चेहरा, बातचीत का ढंग, थोड़ी चतुराई या साहस जैसी दो-चार बातें देखकर ही शीघ्रता से उसे अपना मित्र बना लेते हैं।
4. किस प्रकार के मित्र से भारी रक्षा रहती है ?
उत्तर- विश्वासपात्र मित्र से बड़ी भारी रक्षा रहती है क्योंकि जिसे ऐसा मित्र मिल जाए उसे समझना चाहिए कि खज़ाना मिल गया है।
5. चिंताशील, निर्बल तथा धीर पुरुष किस प्रकार का साथ ढूँढ़ते हैं ?
उत्तर- चिंताशील मनुष्य प्रफुल्लित व्यक्ति का, निर्बल पुरुष बली का तथा धीर व्यक्ति उत्साही पुरुष का साथ ढूँढ़ते हैं।
6. उच्च आकांक्षा वाला चन्द्रगुप्त युक्ति व उपाय के लिए किस का मुँह ताकता था?
उत्तर- उच्च आकांक्षा वाला चंद्रगुप्त युक्ति व उपाय के लिए चाणक्य का मुँह ताकता था।
7. नीति-विशारद अकबर मन बहलाने के लिए किसकी ओर देखता था ?
उत्तर- नीति- विशारद अकबर मन बहलाने के लिए बीरबल की ओर देखता था।
8. मकदूनिया के बादशाह डेमेट्रियस के पिता को दरवाज़े पर कौन सा ज्वर मिला था ?
उत्तर- मकदूनिया के बादशाह डेमेट्रियस के पिता को दरवाज़े पर मौज मस्ती में बादशाह का साथ देने वाला कुसंगति रूपी एक हँसमुख जवान नामक ज्वर मिला था।
9. राजदरबार में जगह न मिलने पर इंग्लैंड का एक विद्वान अपने भाग्य को क्यों सराहता रहा ?
उत्तर- क्योंकि उसे लगता था कि राजदरबारी बन कर वह बुरे लोगों की संगति में पड़ जाता जिससे वह आध्यात्मिक उन्नति न कर पाता। बुरी संगति से बचने के कारण वह अपने आप को सौभाग्यशाली मानता रहा।
10. हृदय को उज्ज्वल और निष्कलंक रखने का सबसे अच्छा उपाय क्या है ?
उत्तर- हृदय को उज्ज्वल और निष्कलंक रखने का सबसे अच्छा उपाय स्वयं को बुरी संगति से दूर रखना है।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए :-
1. विश्वासपात्र मित्र को खज़ाना, औषध
और माता जैसा क्यों कहा गया है ?
उत्तर- लेखक ने विश्वासपात्र मित्र को खज़ाना इसलिए कहा है क्योंकि जैसे खज़ाना
मिलने से सभी प्रकार की कमियाँ दूर हो जाती हैं उसी प्रकार से विश्वासपात्र मित्र मिलने से सभी कमियां दूर हो जाती हैं। वह एक औषध के समान हमारी बुराइयों रूपी बीमारियों को ठीक कर देता है। वह माता के समान धैर्य और कोमलता से स्नेह देता है।
2. अपने से अधिक आत्मबल रखने वाले व्यक्ति को मित्र बनाने से क्या लाभ है ?
उत्तर- हमें अपने से अधिक आत्मबल रखने वाले व्यक्ति को अपना मित्र बनाना चाहिए। ऐसा व्यक्ति हमें उच्च और महान कार्यों को करने में सहायता देता है। वह हमारा मनोबल और साहस बढ़ाता है। उसकी प्रेरणा से हम अपनी शक्ति से अधिक कार्य कर लेते हैं। जैसे सुग्रीव ने श्री राम से मित्रता की थी। श्री राम से प्रेरणा प्राप्त कर उसने अपने से अधिक बलवान बाली से युद्ध किया था। ऐसे मित्रों के भरोसे से हम कठिन से कठिन कार्य भी आसानी से कर लेते हैं।
3. लेखक ने युवाओं के लिए कुसंगति और सत्संगति की तुलना किससे की और क्यों ?
उत्तर- सत्संगति से हमारा जीवन सफल होता है। सत्संगति सहारा देने वाली ऐसी बाहु के समान होती है जो हमें निरंतर उन्नति की ओर उठाती जाती है। कुसंगति के कारण हमारा जीवन नष्ट हो जाता है। कुसंगति पैरों में बंधी हुई चक्की के समान होती है जो हमें निरंतर अवनति के गड्ढे में गिराती जाती है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए
:-
प्रश्न:- 1.सच्चे मित्र के कौन-कौन से गुण लेखक ने बताए हैं?
उत्तर:- अचार्य रामचंद्र शुक्ल जी ने एक सच्चे मित्र
के बहुत सारे गुण अथवा विशेषताओं का वर्णन मित्रता निबंध के अंतर्गत किया है।
जिनमें से मुख्य का वर्णन निम्नलिखित अनुसार है :-
1.सच्चा पथ प्रदर्शक :-
हमारा सच्चा मित्र हमारा सच्चा पथ प्रदर्शक होना चाहिए। जो हमें गलत मार्ग
से हटाकर सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करे।केवल छोटे-छोटे कार्य निकालने के
लिए किसी से मित्रता ना करें ।
2.विश्वासपात्र :-
एक उत्तम मित्र ऐसा होना चाहिए जिस पर हम आँख मूंदकर विश्वास कर सकें ।
3.आन्तरिक स्नेह करने वाला:-
ऐसे व्यक्ति को मित्र नहीं कहा जा सकता जो प्रत्यक्ष रुप में हमारे गुणों
को का तो प्रशंसक हो किंतु हमसे आन्तरिक स्नेह न रखता हो। वह हमें माता के जैसा
स्नेह करने वाला होना चाहिए।
4. सहानुभूति से परिपूर्ण :-
मित्रों के मध्य सहानुभूति का होना भी अनिवार्य है। जिससे कि वह एक दूसरे
के हानि- लाभ को अपना हानि- लाभ मान सकें।
5. हम से अधिक दृढ़ संकल्पी न हो :-
मित्र बनाते समय हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह हम से अधिक दृढ़
संकल्प का ना हो क्योंकि ऐसे व्यक्ति की बात हमें बिना
किसी विरोध के मार लेनी पड़ती है ।
सारांश:-
केवल हंसमुख चेहरा, बातचीत का ढंग देखकर ही हमें किसी को
मित्र नहीं बना लेना चाहिए। उसके गुणों तथा स्वभाव की परीक्षा लेकर ही मित्रता
करनी चाहिए।
प्रश्न:- 2बाल्यावस्था और युवावस्था की मित्रता के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- बाल्यावस्था की मित्रता में एक मग्न करने वाला आनंद होता है। इसमें मन को प्रभावित करने वाली ईर्ष्या और खिन्नता का भाव भी होता है। इसमें बहुत अधिक मधुरता, प्रेम और विश्वास भी होता है। जल्दी ही रूठना और मनाना भी होता है। युवावस्था की मित्रता बाल्यावस्था की मित्रता की अपेक्षा अधिक दृढ़, शांत और गंभीर होती है। युवावस्था का मित्र सच्चे पथ प्रदर्शक के समान होता है।
प्रश्न:- 3
दो भिन्न प्रकृति के लोगों में परस्पर प्रीति और मित्रता बनी रहती है-
उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :- यह आवश्यक नहीं कि मित्रता एक
ही प्रकार के स्वभाव तथा कार्य करने वाले लोगों में हो। मित्रता भिन्न प्रकृति तथा व्यवसाय के लोगों में भी हो सकती है।
इस तथ्य को निम्नलिखित उदाहरणों के माध्यम से समझा जा सकता है:-
1. राम तथा लक्ष्मण की मित्रता :-
उदाहरणस्वरूप हम राम और लक्ष्मण की मित्रता को ले सकते हैं। दोनों भाइयों
के स्वभाव में बड़ा अंतर था । राम धीर- गंभीर प्रकृति के शांत पुरुष थे। लक्ष्मण
उग्र प्रकृति के थे। फिर भी दोनों भाईयों में एक- दूसरे के प्रति अगाध प्रेम एवं
सम्मान की भावना थी। अतः दोनों की मित्रता अनुकरणीय बन गई ।
2. अकबर तथा बीरबल की मित्रता :-
मुगल सम्राट अकबर और उनके मित्र बीरबल भिन्न स्वभाव के होते हुए भी अच्छे
मित्र थे। अकबर नीति विशारद तथा बीरबल हंसोड़ व्यक्ति थे।
प्रश्न:- 4.
मित्र का चुनाव करते समय हमें किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:- सही मित्र का चुनाव करते समय हमें निम्नलिखित
बातों का ध्यान रखना चाहिए:-
1.वह हमसे अधिक दृढ़ संकल्प का ना हो।
2. वह सद्गुणों से परिपूर्ण हो।
3.उसमें माता का सा धैर्य तथा वैद्य की सी
निपुणता होनी चाहिए।
4. एक सच्चा मित्र सच्चे पथ प्रदर्शक के
समान हो, विश्वसनीय हो।
5.वह हमारे भाई जैसा हो ,जिसे हम अपना प्रीति पात्र बना सकें।
6. वह प्रतिष्ठित, शुद्ध हृदय, मधु भाषी तथा सत्यनिष्ठ होना चाहिए।
प्रश्न:- 5. 'बुराई अटल भाव धारण करके बैठती है।‘ क्या आप लेखक की इस उक्ति से सहमत हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- लेखक का यह कथन पूरी तरह से सही है कि बुराई हमारे मन में अटल भाव धारण करके बैठ जाती है। भद्दे और फूहड़ गीत हमें बहुत जल्दी याद हो जाते हैं। अच्छी और गंभीर बात जल्दी समझ में नहीं आती। इसी प्रकार से बचपन में सुनी अथवा कही हुई गंदी गालियाँ कभी नहीं भूलतीं। ऐसे ही जिस व्यक्ति को कोई बुरी लत लग जाती है, जैसे सिगरेट, शराब आदि पीना, तो उसकी वह बुरी आदत भी आसानी से नहीं छूटती। कोई व्यक्ति हमें गंदे चुटकुले आदि सुनाकर हँसाता है तो हमें बहुत अच्छा लगता है। इस प्रकार बुरी बातें सहज ही हमारे मन में प्रवेश कर जाती हैं।
(ख) भाषा-बोध
1. निम्नलिखित शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए - मित्र, बुरा, कोमल, अच्छा, शांत, निपुण, लड़का, दृढ़ ।
शब्द भाववाचक संज्ञा मित्र मित्रता कोमल कोमलता शांत शांति लड़का लड़कपन |
शब्द भाववाचक संज्ञा बुरा बुराई अच्छा अच्छाई निपुण निपुणता दृढ दृढ़ता |
2. निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखिए :-
वाक्यांश एक शब्द
जिसका सत्य में दृढ़ विश्वास हो सत्यनिष्ठ
जो नीति का ज्ञाता हो नीतिज्ञ
जिस पर विश्वास किया जा सके विश्वसनीय
जो मन को अच्छा लगता हो मनोरम
जिसका कोई पार न हो अपरंपार
3. निम्नलिखित में संधि कीजिए :-
युवा + अवस्था
= युवावस्था नीच + आशय = नीचाशय नशा + +उन्मुख
= नशोन्मुख हत + उत्साहित = हतोत्साहित सह + अनुभूति
= सहानुभूति |
बाल्य + अवस्था
= बाल्यावस्था महा + आत्मा = महात्मा वि + अवहार = व्यवहार प्रति + एक = प्रत्येक पुरुष + अर्थी = पुरुषार्थी |
4. निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह कीजिए
:-
नीति विशारद = नीति का विशारद
सत्यनिष्ठा = सत्य में निष्ठा
राजदरबारी = राज का दरबारी जीवन-निर्वाह = जीवन का निर्वाह
पथप्रदर्शक = पथ का प्रदर्शक
जीवन-संग्राम = जीवन का संग्राम
स्नेहबंधन = स्नेह का बंधन
5. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर इनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए -
·
कच्ची मिट्टी की मूर्ति (परिवर्तित होने योग्य) बच्चों का दिमाग कच्ची मिट्टी की मूर्ति जैसा होता है।
·
खज़ाना मिलना- (अधिक मात्रा में धन मिलना) बिमला को वज़ीफा क्या मिला जैसे उसे खज़ाना मिल गया हो।
·
जीवन की औषधि होना- (जीवन रक्षा का साधन) - बूढ़े किशन सिंह की पेंशन उसके जीवन की औषधि है।
·
मुँह ताकना - (आशा लगाए बैठना)-दवाई के लिए बूढ़े माँ-बाप अपने बेटों का मुँह ताकते रहते हैं।
·
ठट्ठा मारना - (ठठोली करना, हँसी मज़ाक करना) - मोहन की अटपटी-सी बात सुनकर पास बैठे लोग ठट्ठा मार कर हँस पड़े।
·
पैरों में बंधी चक्की-(पाँव की बेड़ी)- राम सिंह को मुंबई में अच्छी नौकरी मिली थी परंतु बूढ़े माँ-बाप उसके पैरों में बँधी चक्की बन गए और वह गाँव में ही रहकर मज़दूरी करने लगा।
· घड़ी भर का साथ (थोड़ी देर का साथ) बीमार पिता अब राधा के लिए घड़ी भर का साथ थे।
लेखन - विनोद कुमार (हिंदी शिक्षक)स.ह.स.बुल्लेपुर,लुधियाना
गुरप्रीत कौर(हिंदी शिक्षिका) स ह स लापरा लुधियाना
पूजा रानी, हिन्दी शिक्षिका, स.स.स.स्कूल, बोड़ा, ज़िला:- होशियारपुर
संशोधक – डॉ॰ राजन (हिंदी शिक्षक)लोहारका कलां, अमृतसर