पाठ - 11
वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी ......
गोविंद कुमार 'गुंजन'
अभ्यास
(क) विषय-बोध
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-
दो पंक्तियों में दीजिए-
i) बाज़ार में अलार्म घड़ियों
की माँग क्यों घटने लगी है?
उत्तर- मोबाइल
फ़ोन में अलार्म उपलब्ध रहने से बाज़ार में अलार्म घड़ियों की माँग घटने लगी है।
ii) लेखक को कॉलेज में पुरस्कार में कौन-सी
घड़ी मिली थी?
उत्तर- लेखक
को कॉलेज में पुरस्कार में अलार्म घड़ी मिली थी।
iii) लेखक को कविताओं में डूबे रहना कैसा लगता था?
उत्तर- लेखक
को कविताओं में डूबे रहना स्वर्ग जैसा लगता था।
iv) चिड़िया कमरे में दीवार पर लगी किसकी
तस्वीर के पीछे अपना घोंसला बनाने लगी थी?
उत्तर- चिड़िया
कमरे में दीवार पर लगी सुमित्रानंदन पंत जी की तस्वीर के पीछे अपना घोंसला बनाने लगी
थी।
v) लेखक अपनी कौन-सी दुनिया में खोया
रहता था कि चिड़िया की तरफ़ ध्यान ही नहीं देता था?
उत्तर - लेखक
अपनी किताबों की दुनिया में खोया रहने की वजह से चिड़िया की तरफ ध्यान ही नहीं देता
था।
vi) लेखक के लिए अलार्म घड़ी कौन थी?
उत्तर- लेखक
के लिए अलार्म घड़ी चिड़िया थी।
vii) चिड़िया ने लेखक को कौन-सा रत्न
दिया था?
उत्तर- चिड़िया
ने लेखक को 'उषा सुंदरी' नामक रत्न दिया था।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-
चार पंक्तियां में दीजिए-
i) पहले किन-किन अवसरों पर घड़ी देने
की परंपरा थी?
उत्तर- पहले
कलाई पर घड़ी एक उपहार हुआ करती थी। परीक्षा में पास होने पर और कॉलेज में दाखिला होने
पर बच्चों को दिलवाई जाती थी, तो शादी में दूल्हे को ससुराल पक्ष वाले घड़ी अवश्य देते
थे। कई सरकारी विभागों में सेवा-निवृत्ति पर भी घड़ी देने की परंपरा थी।
ii) जिन दिनों लेखक के पास घड़ी नहीं
थी तब उनके पिताजी क्या कहा करते थे?
उत्तर- जिन
दिनों लेखक के पास कोई घड़ी नहीं थी, तब उनके पिता जी कहा करते थे कि तुम्हें सुबह
कितने बजे भी उठना हो, तुम अपने तकिये से कहकर सो जाओ कि सुबह मुझे इतने बजे उठा देना।
बस, फिर तुम्हारी नींद सुबह उतने ही बजे खुल जाएगी। बचपन में कितनी ही बार इस फ़ार्मूले
को लेखक ने अपनाया था और सही पाया था।
iii) शाम को चिड़िया लेखक के कमरे में
कैसे पधार जाती थी?
उत्तर- शाम
को देर तक लेखक के कमरे का दरवाज़ा खुला रहता था। लेखक अपनी किताबों की दुनिया में
खोया कभी उसकी तरफ़ ध्यान ही नहीं देता था। लेखक के किताबों में रमे होने के कारण चिड़िया
कमरे में पधार जाती थी।
iv) रोज़ सुबह-सुबह चिड़िया लेखक के पलंग
के सिरहाने बैठकर चहचहाती क्यों थी?
उत्तर- रोज़
सुबह-सुबह चिड़िया लेखक के पलंग के सिरहाने बैठकर इसलिए चहचहाती थी क्योंकि उसने कमरे
से बाहर जाना होता था। कमरे में कोई रोशनदान या खिड़की न होने की वजह से उसे लेखक के
द्वारा दरवाज़ा खोलने तक का इंतज़ार करना पड़ता था। लेखक देर रात तक पढ़ने-लिखने के
कारण जल्दी नहीं उठता था। इसलिए वह लेखक के पलंग के सिरहाने बैठकर चहचहाती थी।
v) लेखक ने चिड़िया की तुलना माँ से क्यों
की है?
उत्तर- लेखक
ने चिड़िया की तुलना माँ से इसलिए की है क्योंकि उस सुबह चिड़िया ने लेखक की रजाई का
कोना अपनी चोंच से खींचकर अपनी चहचहाहट से लेखक को जगाया था। बचपन में इतने ही प्यार
और इतनी ही झुँझलाहट से देर तक सोने पर लेखक को उसकी माँ जगाया करती थी। लेखक को चिड़िया
द्वारा स्वयं को जगाना माँ की तरह जगाना लग रहा था। इसलिए लेखक ने चिड़िया की तुलना माँ से की है।
3) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर के छह-सात
पंक्तियों में दीजिए:-
i) 'वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी' कहानी
के द्वारा लेखक क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर- 'वह
चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी' कहानी में लेखक ने मनुष्य की आदत पर प्रकाश डाला है। ऐसा
कहते हैं कि मनुष्य की आदत कभी नहीं बदलती लेकिन कभी-कभी किसी दूसरे के कारण बदल जाती
है। लेखक देर तक सोए रहने की आदत से मजबूर था उसे एक छोटी-सी चिड़िया जगाती है। सुबह
की ताज़ी हवा के स्पर्श का अहसास दिलाती है और उसे सुबह उठने की आदत डाल देती है।
ii) चिड़िया द्वारा लेखक को जगाए जाने
के प्रयास को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- चिड़िया
हर रोज़ शाम को लेखक के कमरे में खिड़कियाँ, रोशनदान न होने के बावजूद भी आराम से पधार
जाती थी और वहाँ पर बनाए अपने घोंसले में आराम करती थी। लेखक देर रात तक पढ़ाई-लिखाई
करने के कारण सुबह देर से उठता था लेकिन चिड़िया को सुबह जल्दी कमरे से बाहर जाना होता
था। इसलिए वह लेखक के पलंग के सिरहाने बैठकर एक अलग तरह की झुँझलाहट से भरी चीं-चीं
करती थी ताकि लेखक उठ जाए। कभी-कभी चिड़िया लेखक की रजाई का कोना अपनी चोंच से खींच
कर अपनी चहचहाहट से उसे जगाती थी। वह उसे इतने प्यार और झुँझलाहट से जगाती थी जैसे
लेखक की माँ जगाती थी। चिड़िया को सुबह कमरे से बाहर जाना होता था। वह जल्दी जाग जाती
और दरवाज़ा खुलवाने के लिए लेखक के पलंग के सिरहाने बैठकर चहचहाती जिससे लेखक की नींद खुल जाती थी।
iii) लेखक उस वात्सल्यमयी चिड़िया का
उपकार क्यों मानता है?
उत्तर - चिड़िया
पलंग के सिरहाने या लेखक की रजाई पर बैठकर मधुर चहचहाहट से लेखक को जगाती थी। उसके
चहचहाहट में अब वह झुँझलाहट नहीं, एक वात्सल्य भरी जागृति लेखक को महसूस होती थी। यह
किसी घड़ी की यांत्रिक ध्वनि नहीं थी, अपनेपन से भरी पुकार थी, जो लेखक को आसमान से
अवतरित होती हुई प्रात: काल की सुमंगल घड़ी में पुकारती थी। उस सुमंगल घड़ी में सरिताओं
का जल, आकाश की वायु, सूर्य का प्रकाश- सब अपनी निर्मलता के चरम पर पहुँचकर सृष्टि
में नए फूल खिलाने का उपक्रम करते हैं। लेखक चिड़िया के साथ जगना सीख गया था और सुबह
की फूलों की सुगंध से भरी ताज़गी का वरदान पाने लगा था। चिड़िया ने लेखक को भी उषा
सुंदरी के रत्न दिखा दिए थे। लेखक उस वात्सल्यमयी चिड़िया के उस उपकार को बहुत कृतज्ञता
से महसूस करता है। उसने लेखक को उस घड़ी जगना सिखाया, जब धरती ओस के मोती बिखरा कर
हर नए खिल रहे फूल का अभिनंदन कर रही होती है।
(ख) भाषा - बोध
1. निम्नलिखित एकवचन शब्दों के बहुवचन रूप लिखिए-
एकवचन - बहुवचन घोंसला - घोंसले कमरा - कमरे दरवाज़ा - दरवाज़े बच्चा - बच्चे दूल्हा - दूल्हे |
एकवचन - बहुवचन चिड़िया - चिड़ियाँ डिबिया - डिबियाँ घड़ी - घड़ियाँ खिड़की - खिड़कियाँ छुट्टी - छुट्टियाँ |
2. निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग तथा
मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए-
शब्द उपसर्ग मूल शब्द उपहार उप हार उपस्थित उप स्थित उपलब्ध उप लब्ध उपकार उप कार |
शब्द उपसर्ग मूल शब्द अभिभूत अभि भूत सुमंगल सु मंगल अनुभूति अनु भूति
बेख़बर बे ख़बर |
3. निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग
करके लिखिए-
शब्द मूल शब्द प्रत्यय चहचहाहट चहचह आहट झुँझलाहट झुँझला आहट रोशनदान रोशन दान |
शब्द मूल शब्द प्रत्यय कृतज्ञता कृतज्ञ ता सघनता सघन ता मानवीय मानव ईय |
4. पाठ में आए निम्नलिखित तत्सम शब्दों
के तद्भव रूप तथा तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए-
तत्सम - तद्भव रात्रि
- रात आश्रय - आसरा कृपा - किरपा गृह - घर सूर्य - सूरज |
तद्भव - तत्सम सच - सत्य नींद - निद्रा मोती - मुक्ता चिड़िया - खग माँ - मातृ |