क्रिया-विशेषण
निम्नांकित वाक्यों के
रेखांकित अंश पर ध्यान दीजिए :
1.
वह धीरे-धीरे चल रही है ।
2.
मोहन कल आएगा ।
3.
आप यहाँ बैठिए ।
4.
कम खाओ ।
आपने देखा कि रेखांकित
शब्द क्रिया से पहले लगकर उसकी विशेषता बता रहे हैं । ये शब्द क्रिया विशेषण का
कार्य कर रहे हैं ।
क्रिया की विशेषता बताने
वाले शब्द (पद) को क्रिया विशेषण कहते हैं ।
क्रिया विशेषण के चार भेद
हैं :
1.
रीतिवाचक क्रिया विशेषण
2.
परिमाणवाचक क्रिया विशेषण
3. कालवाचक
क्रिया विशेषण
4. स्थानवाचक
क्रिया विशेषण
(1) रीतिवाचक क्रिया-विशेषण : जिन क्रिया विशेषणों से क्रिया के होने की रीति या विधि से संबंधित विशेषता का
पता चलता है, उन्हें रीतिवाचक क्रिया
विशेषण कहते हैं । जैसे -
(क) गाड़ी तेज चल रही है ।
(ख) मैं ध्यानपूर्वक सुन रहा हूँ ।
(ग) राकेश भली-भाँति रह रहा है ।
(घ) वह चुपके से खा रहा है ।
(2) परिमाणवाचक क्रिया विशेषण
: परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण वह क्रिया-विशेषण है जो क्रिया के परिमाण या मात्रा
से संबंधित विशेषता का बोध कराता है । यह बताता है कि क्रिया मात्रा में कितनी हुई
। जैसे -
(क) वह बहुत थक गया है ।
(ख) रमेश कुछ मुस्कराया ।
(ग) कम खाया करो ।
(घ) उतना खाओ, जितना पचा सको ।
(3) कालवाचक
क्रिया-विशेषण : कालवाचक क्रिया-विशेषण जो क्रिया के घटित
होने के काल (समय) के बारे में बताता है । जैसे -
(क) गीता अभी आई है ।
(ख) महेश ऊपर बैठा है ।
यह तीन प्रकार का होता है
:
(1) कालबिंदुवाचक : आज, कल, अब, अभी, कभी, सायं, प्रातः आदि ।
(2) अवधिवाचक : सदैव, दिनभर, आजकल, नित्य, लगातार आदि ।
(3) बारंबारता : प्रतिदिन, रोज, हर बार, बहुधा आदि ।
(4) स्थानवाचक
क्रिया-विशेषण : स्थानवाचक क्रिया-विशेषण क्रिया के स्थान से
संबंधित विशेषता का बोध कराता है । जैसे -
(क) राम ऊपर बैठा है ।
(ख) वह बाहर खड़ा है ।
यह दो प्रकार का होता है
:
(क) स्थितिवाचक आगे, पीछे, ऊपर, नीचे, पास, दूर, भीतर, बाहर, यहाँ, वहाँ, सर्वत्र आदि ।
(ख) दिशावाचक : इधर-उधर, दाहिने, बाएँ, की तरफ, की ओर, के चारों ओर आदि ।