क्रिया
जो करने या होने का
बोध कराए । वाक्य में ऐसे शब्द
क्रिया कहलाए । ।
नीचे लिखे वाक्यों के
मोटे अंशों पर ध्यान दीजिए:
1. चिड़िया आकाश में उड़ रही है ।
2. रमेश दूध पीता है ।
3. किसान हल चला रहा है ।
4. किताब मेज़ पर है ।
5. मैंने खाना खा लिया है ।
उपर्युक्त
वाक्यों में मोटे अंशों से किसी-न-किसी काम के होने का बोध हो रहा है । पहले वाक्य
में चिड़िया के उड़ने का, दूसरे वाक्य में रमेश के
दूध पीने का, तीसरे वाक्य में किसान के
हल चलाने का, चौथे वाक्य में किताब के
मेज पर होने का तथा पांचवें वाक्य में मेरे द्वारा खाना खा लेने की क्रिया का
ज्ञान होता है । ये सभी मोटे अंश क्रिया पद हैं ।
क्रिया वह शब्द (पद) है, जिससे किसी कार्य के करने
का या किसी प्रक्रिया में अथवा किसी स्थिति में होने का
बोध होता है ।
क्रिया
पदबंध की रचना दो प्रकार के अंशों से मिलकर होती है । एक अंश तो वह है जो उस
क्रिया पदबंध को मुख्य अर्थ प्रदान करता है । इसे मुख्य क्रिया कहा जाता है तथा
मुख्य क्रिया के अलावा जो भी अंश शेष रह जाता है, वह सब सहायक क्रिया का अंश होता है । जैसे-
1. लड़कियाँ गाना गा चुकी हैं ।
2. वह हँस रहा है ।
3. अब आप जा सकते हैं ।
मुख्य
क्रिया-गा, हँस, जा ।
सहायक
क्रिया-चुकी हैं,रहा है, सकते हैं ।
क्रिया के प्रकार – कर्म के आधार पर मुख्य रूप से क्रिया दो प्रकार की होती हैं :
1.
अकर्मक
2.
सकर्मक
1.
अकर्मक क्रिया : वाक्य में जिस क्रिया के
प्रयोग में कर्म की आवश्यकता नहीं होती है, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं । जैसे- दौड़ना, सोना, हँसना, रोना, उठना।
यहां
क्रिया का फल (प्रभाव) सीधे कर्ता पर पड़ता है । जैसे -
(क) राम दौड़ रहा है ।
(ख) बच्चा हँस रहा है ।
(ग) गीतिका रोती है ।
इन
वाक्यों में (क) दौड़ने क्रिया का प्रभाव राम (कर्ता) पर, (ख) हँसने क्रिया का प्रभाव बच्चा (कर्ता) पर, (ग) 'रोना' क्रिया का प्रभाव गीतिका (कर्ता) पर पड़ रहा है ।
इनमें कोई कर्म नहीं है । अतः ये क्रियाएँ अकर्मक हैं ।
2.
सकर्मक क्रिया : सकर्मक क्रिया के प्रयोग
में कर्म की आवश्यकता होती है । सकर्मक क्रिया कर्म के बिना अपना भाव पूरा नहीं कर
पाती । जैसे-पढ़ना, लिखना, देखना, खाना, पीना आदि । जैसे -
(क)
मैं पुस्तक पढ़ रहा हूँ । (पुस्तक-कर्म)
(ख) रवि ने निशांत को बुलाया । (निशांत-कर्म)
(ग) वह चित्र बनाता है । (चित्र-कर्म)
[क्रिया के साथ क्या, किसे लगाने से जो उत्तर मिलता है, वही कर्म होता है । ऐसे वाक्य की क्रिया को सकर्मक क्रिया कहते हैं ।]