पाठ - 15 सदाचार का तावीज़ (निबंध) कक्षा-दसवीं

 

पाठ - 15      सदाचार का तावीज़ (निबंध)

हरिशंकर परसाई (लेखक)

अभ्यास

विषय बोध

1) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए :

प्रश्न 1. राजा ने राज्य में किस चीज़ के फैलने की बात दरबारियों से पूछी?

उत्तर :- राजा ने राज्य में भ्रष्टाचार फैलने की बात दरबारियों से पूछी।

प्रश्न 2. राजा ने भ्रष्टाचार ढूँढने का काम किसे सौंपा ?

उत्तर :- राजा ने भ्रष्टाचार ढूँढने का काम विशेषज्ञों को सौंपा।

प्रश्न 3. एक दिन दरबारियों ने राजा के सामने किसे पेश किया?

उत्तर :- एक दिन दरबारियों ने राजा के सामने एक साधु को पेश किया।

प्रश्न 4. साधु ने राजा को कौन-सी वस्तु दिखायी?

उत्तर :- साधु ने राजा को एक तावीज़ दिखाया।

प्रश्न 5. साधु ने तावीज़ का प्रयोग किस पर किया?

उत्तर :- साधु ने तावीज़ का प्रयोग एक कुत्ते पर किया।

प्रश्न 6. तावीज़ों को बनाने का ठेका किसे दिया गया?

उत्तर :- तावीज़ों को बनाने का ठेका साधु बाबा को दिया गया।

प्रश्न 7. राजा वेश बदलकर पहली बार कार्यालय कब गए थे?

उत्तर :- राजा वेश बदलकर पहली बार 2 तारीख को कार्यालय गए थे।

प्रश्न 8. साधु को तावीज़ बनाने के लिए कितनी पेशगी दी गई ?

उत्तर :- साधु को तावीज़ बनाने के लिए  5 करोड़ रुपए की पेशगी दी गई।

 

2) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए :

प्रश्न 1. दरबारियों ने भ्रष्टाचार दिखने का क्या कारण बताया ?

उत्तर :- दरबारियों ने भ्रष्टाचार दिखाई देने का कारण बताते हुए कहा कि वह बहुत बारीक होता है और उनकी आँखों को तो महाराज की विराटता देखने की आदत हो गई है। इसलिए उन्हें बारीक चीज़ नहीं दिखती। यदि उन्हें भ्रष्टाचार दिखा भी तो उसमें उन्हें महाराज की ही छवि दिखेगी क्योंकि उनकी आँखों में तो केवल महाराज की ही सूरत बसी हुई है। अतः ऐसी स्थिति में उनके लिए किसी और वस्तु को देख पाना संभव नहीं है।

प्रश्न 2. राजा ने भ्रष्टाचार की तुलना ईश्वर से क्यों की?

उत्तर :- जब विशेषज्ञों ने राजा को भ्रष्टाचार के बारे में बताते हुए कहा कि वह हाथ की पकड़ में नहीं आता।वह स्थूल नहीं सूक्ष्म है, अगोचर है पर सर्वत्र व्याप्त है, उसे देखा नहीं जा सकता, केवल अनुभव किया जा सकता है | तब उनकी बातें सुनकर राजा सोच में पड़ गए और बोले कि ये सभी गुण तो ईश्वर में होते हैं। तब इन सभी गुणों के बारे में सुनकर उन्होंने भ्रष्टाचार की तुलना ईश्वर से की।

प्रश्न 3. राजा का स्वास्थ्य क्यों बिगड़ता जा रहा था?

उत्तर :- राजा अपने राज्य में फैले भ्रष्टाचार से बहुत परेशान थे। विशेषज्ञों ने भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए एक बहुत बड़ी योजना तैयार कर के राजा के आगे रख दी थी। जिस को लागू करना बहुत मुश्किल था। सारी व्यवस्था उलट-पुलट हो जानी थी। जिससे और नई-नई कठिनाइयां पैदा हो सकती थीं। इसलिए भ्रष्टाचार का कोई हल दिखाई देने के कारण राजा चिंतित रहने लगे और राजा का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा।

प्रश्न 4. साधु ने सदाचार और भ्रष्टाचार के बारे में क्या कहा ?

उत्तर :- साधु ने सदाचार और भ्रष्टाचार के बारे में बताते हुए कहा कि ये दोनों मनुष्य की आत्मा में ही होते हैं। जब ईश्वर मनुष्य को बनाता है तब किसी की आत्मा में ईमान की कल फिट कर देता है तो किसी की आत्मा में बेईमानी की। इस कल में से ईमान या बेईमानी के स्वर निकलते रहते हैं जिसे 'आत्मा की पुकार' कहते हैं। इसी आत्मा की पुकार के अनुसार आदमी काम करता है।

प्रश्न 5. साधु को तावीज़ बनाने के लिए कितनी पेशगी दी गई ?

उत्तर :- राजा को राज्य में से भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए लाखों नहीं करोड़ों तावीज़ चाहिए थे। इसलिए एक मंत्री के सुझाव पर उन्होंने साधु बाबा को ही तावीज़ बनाने का ठेका देने का निर्णय किया ताकि वे स्वयं ही अपनी मंडली से तावीज़ बनवा कर राज्य को सप्लाई कर दें। तब तावीज़ों को बनाने का कारखाना खोलने के लिए उन्हें 5 करोड़ रुपए पेशगी दी गई।

प्रश्न 6. तावीज़ किस लिए बनवाए गए थे ?

उत्तर :- राजा ने अपने राज्य में हर जगह फैले भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए तावीज़ बनवाए क्योंकि साधु बाबा के अनुसार जिस आदमी की भुजा पर यह तावीज़ बँधा होगा वह सदाचारी हो जाएगा। उसने एक कुत्ते पर इसका प्रयोग भी किया था। यह तावीज़ कुत्ते के गले में बाँधने पर कुत्ता भी रोटी नहीं चुराता था। इसलिए तावीज़ की यह विशेषताएँ सुनकर राजा ने साधु को करोड़ों तावीज़ बनाने के लिए कहा ताकि राज्य के प्रत्येक सरकारी कर्मचारी की भुजा पर इसे बाँधा जा सके और भ्रष्टाचार को रोका जा सके।

प्रश्न 7. महीने के आखिरी दिन तावीज़ में से कौन-से स्वर निकल रहे थे?

उत्तर :- महीने के आखिरी दिन जब राजा वेश बदलकर तावीज़ का प्रभाव देखने के लिए एक कर्मचारी के पास गए और उसे 5 रुपये का नोट दिखाया तो उस कर्मचारी ने नोट लेकर अपनी जेब में रख लिया। राजा ने तभी उसका हाथ पकड़ लिया और पूछा कि क्या तुम आज सदाचार का तावीज़ बाँधकर नहीं आए। कर्मचारी ने अपनी आस्तीन चढ़ाकर राजा को तावीज़ दिखा दिया। राजा असमंजस में पड़ गए। उन्होंने तावीज़ पर कान लगाकर सुना तो तावीज़ में से स्वर निकल रहे थे , “अरे ! आज इकतीस है। आज तो ले ले।“

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 6 या 7 पंक्तियों में दीजिए :

प्रश्न 1. विशेषज्ञों ने भ्रष्टाचार खत्म करने के क्या-क्या उपाय बताए ?

उत्तर :- विशेषज्ञों ने भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए एक योजना तैयार की जिसके अनुसार व्यवस्था में कई परिवर्तन करने और भ्रष्टाचार के मौके मिटाने को कहा। उन्होंने ठेका प्रथा को समाप्त करने के लिए कहा क्योंकि यदि ठेके हैं तो ठेकेदार हैं, ठेकेदार हैं तो अधिकारियों को घूस है, ठेका मिट जाए तो उनकी घूस भी मिट जाएगी। उन्होंने कहा कि हमें यह भी पता लगाना होगा कि आदमी किन कारणों से घूस लेता या देता है ताकि उन कारणों को ही समाप्त किया जा सके।

प्रश्न 2. साधु ने तावीज़ के क्या गुण बताए?

उत्तर :- साधु ने तावीज़ के गुण बताते हुए कहा कि उसने कई वर्षों के चिंतन के बाद इस तावीज़ को बनाया है। यह मंत्रों से सिद्ध है, जिस आदमी की भुजा पर बाँधा जाता है, वह सदाचार के रास्ते पर चल पड़ता है। साधु ने इस तावीज़ का प्रयोग एक कुत्ते पर भी किया था। यह तावीज़ गले में बाँध देने से कुत्ता भी रोटी नहीं चुराता क्योंकि इस तावीज़ में से सदाचार के स्वर निकलते हैं, जब किसी की आत्मा बेईमानी के स्वर निकालने लगती है तब इस तावीज़ की शक्ति आत्मा का गला घोंटती है और आदमी को तावीज़ से ईमान के स्वर सुनाई पड़ते हैं। वह इन स्वरों को आत्मा की पुकार समझकर सदाचार की ओर प्रेरित होता है और उसका आचरण शुद्ध और पवित्र हो जाता है।

प्रश्न 3. सदाचार का तावीज़' पाठ में छिपे व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :- सदाचार का तावीज़' 'हरिशंकर परसाई’ जी द्वारा रचित एक व्यंग्यात्मक रचना है जिसमें देशभर में फैले भ्रष्टाचार पर व्यंग्य कसा गया है। इसमें लेखक दिखाते हैं कि हम एक ऐसी व्यवस्था में रह रहे हैं जिसमें भ्रष्टाचार को दूर करने के उपायों में भी भ्रष्टाचार के अवसर ढूँढ़ लिए जाते हैं। केवल भाषणों, नैतिक स्लोगनों, पुलसिया कार्यवाही, वाद-विवाद आदि से भ्रष्टाचार को समाप्त नहीं किया जा सकता। भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए समाज के प्रत्येक व्यक्ति को अपना नैतिक स्तर दृढ़ करना होगा। अपने अंदर नैतिक मूल्यों, ईमानदारी, सच्चाई, मेहनत जैसे गुण विकसित करने होंगे। यदि सभी कर्मचारियों को उनकी आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त वेतन दिया जाए तब कहीं जाकर भ्रष्टाचार की नकेल कसी जा सकती है। भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना किसी एक व्यक्ति का काम नहीं बल्कि पूरे समाज की ज़िम्मेदारी है जिसे मिलकर ही निभाया जा सकता है।

 

() भाषा - बोध

2) निम्नलिखित शब्दों के विपरीत शब्द लिखिए :

एक     -    अनेक

गुण     -    अवगुण

सूक्ष्म   -     स्थूल

पाप                -     पुण्य

विस्तार           -     संक्षेप

ईमानदारी      -     बेईमानी

2) निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए :-

राजा  - नरेश, भूपति                                                           कान  -  कर्ण, श्रवण

मनुष्य  - मानव, मनुज                                                              दिन - दिवस, वासर

सदाचार  -  अच्छा आचरण , सदव्यवहार                         भ्रष्टाचार  - व्यभिचार, दुराचार

3) निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखिए :-

अच्छे आचरण वाला   -   सदाचारी                                      बुरे आचरण वाला            -   दुराचारी

जो किसी विषय का ज्ञाता हो  -  विशेषज्ञ                            हर तरफ फैला हुआ       -   सर्वव्यापी

जो दिखाई दे  - अदृश्य                                                    जिसकी आत्मा महान हो  -  महात्मा


लेखन   - विनोद कुमार (हिंदी शिक्षक)स.ह.स.बुल्लेपुर,लुधियाना

         गुरप्रीत कौर(हिंदी शिक्षिका) स ह स लापरा लुधियाना

         शेखर (हिंदी शिक्षक) स.मि.स. दातारपुर रूपनगर

संशोधक – डॉ॰ राजन (हिंदी शिक्षक)लोहारका कलां, अमृतसर