कक्षा – छठी
विषय - हिंदी
पाठ - 16
चींटी
चींटी कितनी निर्भय है।
अपने श्रम में तन्मय है ॥
छोटी उसकी काया है।
यह भी प्रभु की माया है ॥
अथक परिश्रम करती है।
गिरती है चल पड़ती है ।
हम
को यह सिखाती है।
मेहनत से न मानो हार ।
अथक परिश्रम कर पहनो।
तुम सब विजय श्री का हार ॥
चींटी का जीवन हमको।
यही प्रेरणा देता है।
मेहनत जीवन का सर्वस्व
श्रम ही फल देता है ॥
चींटी कितनी निर्भय है।
अपने श्रम में तन्मय है।
अभ्यास
1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें:-
ਕਾਇਆ
= काया ਮਾਇਆ = माया
2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :-
ਕੀੜੀ = चींटी
ਮਿਹਨਤ = परिश्रम
ਨਿਡਰ = निर्भय ਜਿੱਤ = विजय श्री
ਲੀਨ = तन्मय
ਅਟੁੱਟ = अथक
ਉਤਸ਼ਾਹ = प्रेरणा ਸਭ ਕੁੱਝ = सर्वस्व
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :-
(क) प्रश्न - चींटी की काया कैसी है?
उत्तर - छोटी
(ख) प्रश्न - चींटी से हम क्या सीख सकते हैं?
उत्तर - हमें कभी भी परिश्रम से हार नहीं माननी चाहिए।
(ग) प्रश्न - विजय कैसे मिलती है?
उत्तर - अथक परिश्रम करने से
(घ) 'चींटी कितनी निर्भय है, अपने श्रम में तन्मय है' से कवि का क्या भाव है?
उत्तर - कवि का भाव है कि देखो चींटी कितनी निडर है। वह बिना किसी डर से घूमती है और अपनी मेहनत में लीन रहती
है।
4. वाक्य बनाओ :-
निर्भय : सोहन
बहुत निर्भय है।
तन्मय : हमें
अपने काम में तन्मय हो जाना चाहिए।
अथक : चींटी
अथक परिश्रम करती है।
विजयश्री : अगर हम
मेहनत करेंगे तो विजय श्री हमारे कदम चूमेगी।
प्रेरणा : हमें चींटी से मेहनत करने की प्रेरणा मिलती है।
सर्वस्व : सैनिक अपने देश के लिए सर्वस्व न्योछावर कर देते
हैं।
5)
'परिश्रम' शब्द में 'श्रम' शब्द के आगे 'परि' शब्दांश लगा है। इसी प्रकार 'परि' शब्दांश
लगाकर नये शब्द बनायें :-
परि + त्याग = परित्याग
परि + वर्तन = परिवर्तन
परि + णाम = परिणाम
परि + हास = परिहास
परि + माण = परिमाण परि + धान =
परिधान
6) बतायें इन शब्दों में
'र' व्यंजन आधा है या पूरा :-
निर्भय = आधा
श्रम = पूरा
प्रभु = पूरा
श्री = पूरा
सर्वस्व = आधा
7) नए शब्द बनाओ :-
तन्मय
= न्म = जन्म, सन्मान, सन्मुख
सर्वस्व = स्व = स्वाद, स्वर, स्वभाव
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