II. पद्यांशों पर आधारित बहुवैकल्पिक प्रश्न
1. निम्नलिखित पद्यांशों को पढ़कर दिये गए बहुवैकल्पिक प्रश्नों के उत्तर दें :
(1) श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि।
बरनउँ रघुबर विमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
राम नाम मनि दीप धरू, जीह देहरी द्वार।
तुलसी भीतर बाहरू हुँ, जौ चाहसि उजियार।।
(i) गुरु के चरण
किस के समान हैं?
(क) कमल (ख) विमल (ग) सजल (घ) नवल
(ii) कवि
किस का योगदान चाहता है?
(क) श्री राम का (ख) अपना (ग) गुरू का (घ) किसी का नहीं
(iii) 'रघुवर' का क्या अर्थ है?
(क) विष्णु (ख) श्री हरि (ग) श्री कृष्ण (घ) श्री राम
(iv) कवि ने क्या करने का सन्देश दिया है?.
(क) राम का भजन (ख) गुरू का नाम (ग) माता-पिता की सेवा (घ) राम का नाम
(v)
प्रस्तुत दोहों के रचयिता कौन हैं?
(क) रहीम (ख)
तुलसीदास (ग) मीराबाई (घ)
वृन्द
उत्तरमाला :- i) (क) ii)
(ग) iii) (घ) iv (घ) v) (ख)
(2) कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय।
बह खाये बौरात है, यह पाये बौराय।।
तरूवर फल नहिं खात हैं, सरवर पियहिं न पान।
कहि रहीम पर काज हित, सम्पति संचहि सुजान।।
(i) धतूरे से अधिक मादकता किस में होती है?
(क) स्वर्ण (ख) नरक (ग) स्वर्ग (घ) किसी में नहीं
(ii) तरूवर क्या नहीं खाते ?
(क) बीज (ख) फल (ग) खाना (घ) सभी
(iii) किसे प्राप्त करने मात्र से बौरा जाते हैं?
(क) स्वर्ण (ख) धतूरा (ग) स्वर्ग (घ) नरक
(iv) 'कनक-कनक' का क्या अर्थ है?
(क) सोना-चाँदी (ख) धन-दौलत (ग) सोना- धतूरा (घ) सोना – तांबा
(v)
उपर्युक्त दोहों में से कौन-सा दोहा रहीम जी की रचना है?
(क) प्रथम (ख) द्वितीय (ग) दोनों ही (घ) कोई भी नहीं
उत्तरमाला :- i) (क) ii) (ख) iii) (क) iv) (ग) v) (ख)
(3) मोर मुकुट मकराकृत कुंडल अरूण तिलक दिये भाल।
अधर सुधारस मुरली राजति उर वैजंती माल।
छुद्र घटिका कटि तट सोभित नूपुर शब्द रसाल।
मीरा प्रभु सन्तन सुखदाई भक्त बछल गोपाल।।
(i) श्री कृष्ण का मुकुट कैसा है?
(क) सोने का (ख) मोर पंख का (ग) चाँदी का (घ) मोतियों का
(ii) नूपुर का शब्द कैसा है?
(क) आम (ख) तीव्र (ग) मधुर (घ) कड़वा
(iii) ‘अरुण’
शब्द का क्या अर्थ है?
(क) लाल (ख) सूर्य (ग) सफेद (घ) काला
(iv) मीरा के अनुसार प्रभु किसे सुख देते हैं?
(क) दुष्टों को (ख) शत्रुओं को (ग) मित्रों को (घ) संतों को
(v)
प्रस्तुत पंक्तियॉं कौन-सी रचना में से ली गई हैं?
(क) पदावली (ख) दोहावली (ग) जड़ की मुसकान (घ) हम राज्य लिए मरते हैं
उत्तरमाला :- i)(ख) ii) (ग) iii) (क) iv) (घ) v) (क)
(4) छाँडि दई कुल की कानि कहा करै कोई।
संतन ढिग
बैठि - बैठि लोक लाज खोई।
अँसुअन जल सीचि - सीचि प्रेम बेलि बोई।
अब तो बेलि फैल गई आनंद फल होई।
भगत देखि राजी भई जगत देखि रोई।
दासी मीरा लाल गिरधर तारौ अब मोही।
(i) मीरा ने क्या छोड़ दिया?
(क) कुल की मर्यादा (ख) कुल की जायदाद (ग) कुल की सम्पति (घ) रिश्ते
(ii) मीरा किस को देख कर खुश हो जाती है?
(क) अपने आप को (ख) भक्तों को (ग) माता-पिता को (घ) जगत को
(iii) ‘अँसुअन’ का क्या अर्थ है?
(क) प्रेम (ख) पीड़ा (ग) आँसू (घ) प्यार
(iv) 'गिरधर' से क्या अभिप्राय है?
(क) गिरि को धारण करने वाला (ख) चतुर (ग) पर्वत पर चढ़ने वाला (घ) खेत में काम करने वाला
(v) प्रस्तुत पंक्तियॉं किसकी रचना हैं?
(क) तुलसीदास (ख) मीराबाई (ग) सुमित्रानंदन पंत (घ) मैथिलीशरण गुप्त
उत्तरमाला :- i)
(क) ii) (ख) iii) (ग) iv) (क) v) (ख)
(5) सोहतु संग समानु सो, यहै कहें सब लोग।
पान पीक ओठनु बनें, नैननु काजर जोग।।
गुनी गुनी सब कै कहैं, निगुनी गुनी न होतु।
सुन्यौ कहूँ तरू अरक तें, अरक - समान उदोतु ।।
(i) किस की संगति शोभा पाती है?
(क) मित्रों की (ख) सज्जनों की (ग) बराबार वालों की (घ) सभी की
(ii) काजल किस के योग्य होता है?
(क) मस्तक के (ख) आँखों के (ग) होठों के (घ) किसी के भी नहीं
(iii) 'निगुनी' का क्या अर्थ है?
(क) छोटा (ख) गुणवान् (ग) गुणहीन (घ) बहुत बड़ा
(iv) 'उदोतु' से क्या अभिप्राय है?
(क) खिलता है (ख) छिप जाता है (ग) ऊपर चढ़ता है (घ) उदय होता है
(v)
प्रस्तुत दोहे किसकी रचना हैं?
(क) रहीम (ख) बिहारी (ग) वृन्द (घ) तुलसीदास
उत्तरमाला :- i) (ग) ii) (ख) iii) (ग) iv) (घ) v) (ख)
(6) मधुर वचन ते जात मिट, उत्तम जन अभिमान।
तनिक सीत जल सों मिटे, जैसे दूध उफान।।
अरि छोटो गनिये नहीं, जाते होत बिगार।
तृण समूह को तनिक में, जारत तनिक अंगार।।
(i) दूध का उफान
किस से मिट जाता है?
(क) गर्म पानी से (ख) आग बुझने से (ग) थोड़े से ठंडे पानी से (घ) बर्फ से
(ii) किसे छोटा नहीं समझना चाहिए?
(क) मित्र को (ख) भाई को (ग) शत्रु को (घ) किसी को भी नहीं
(iii) 'तृण समूह' का क्या अर्थ है?
(क) तिनकों का समूह (ख) रूई का ढेर (ग) लकड़ियों का समूह (घ) मिट्टी का ढेर
(iv) शत्रु को छोटा समझने से क्या होता है?
(क) लाभ होता है (ख) हानि होती है (ग) काम बन जाता है (घ) कुछ भी नहीं होता
(v)
प्रस्तुत दोहे किसकी रचना हैं?
(क) रहीम (ख) बिहारी (ग) वृन्द (घ) तुलसीदास
उत्तरमाला :- i)
(ग) ii) (ग) iii) (क) iv) (ख) v) (ग)
(7) जिनके खेतों में है अन्न,
कौन अधिक उनसे सम्पन्न ?
पत्नी सहित विचरते हैं, भव वैभव भरते हैं,
हम राज्य लिए मरते हैं।
(i) अन्न किनके खेतों में हैं?
(क) श्रमिकों के (ख) कृषकों के (ग) अमीरों के (घ) गरीबों के
(ii) पत्नी सहित कौन विचरते हैं?
(क) किसान (ख) राजा (ग) भिरवारी (घ) सभी लोग
(iii) 'सम्पन्न' शब्द का क्या अर्थ है?
(क) गरीब (ख) शक्तिशाली (ग) अमीर (घ) ऊँचा
(iv) 'भव वैभव भरते हैं' से क्या अभिप्राय है ?
(क) लोगों को सुख देते हैं (ख) संसार को धनवान् बनाते हैं (ग) खज़ाना भर देते हैं (घ) दुनिया को अनाज देते हैं
(v)
प्रस्तुत पंक्तियॉं कौन-सी कविता में से ली गई हैं?
(क) गाता खग (ख) जड़ की मुस्कान (ग) हम राज्य लिए मरते हैं (घ) पदावली
उत्तरमाला :- i)(ख) ii) (क) iii) (ग) iv) (ख) v) (ग)
(8) यदि वे करें उचित है गर्व,
बात बात में उत्सव पर्व,
हम से प्रहरी रक्षक जिनके,
वे किस से डरते हैं?
हम राज्य लिए मरते हैं।
(i) किन का गर्व करना उचित हैं?
(क) हमारा (ख) लोगों का (ग) किसानों का (घ) सभी का
(ii) किन के लिए बात बात में उत्सव होता है?
(क) किसानों के लिए (ख) राजाओं के लिए (ग) धनवानों के लिए (घ) निर्धनों के लिए
(iii) 'प्रहरी' शब्द का क्या अर्थ है?
(क) सिपाही (ख) सैनिक (ग) चौकीदार (घ) पहरेदार
(iv) राज्य के लिए कौन मरते हैं?
(क) किसान (ख) राजा लोग (ग) श्रमिक (घ) सभी
(v)
प्रस्तुत पंक्तियों के रचयिता कौन हैं?
(क) रहीम (ख) मैथिलीशरण गुप्त (ग) सुमित्रानंदन पंत (घ) हरिवंश राय बच्चन
उत्तरमाला :- i) (ग) ii) (क) iii) (घ) iv) (ख) v) (ख)
(9) हँसमुख प्रसून सिखलाते
पल भर है जो हँस पाओ,
अपने उरकी सौरभ से
जग का आँगन भर जाओ।
(i) फूल खिल कर हमें क्या सिखाते हैं?
(क) रोना (ख) नीरस हृदय बनाना (ग) आँगन (घ) सदा मुस्कराना
(ii) 'गाता खग' कविता के कवि का नाम क्या है?
(क) बिहारी (ख) सुमित्रा नन्दन पन्त (ग) तुलसीदास (घ) वृन्द
(iii) फूल की तरह मानव कैसे संसार के वातावरण को सुखद बना सकता है?
(क) भेदभाव से (ख) सद्गुणों से (ग) घमंड से (घ) खुशबू से
(iv) 'सौरभ' शब्द का क्या अर्थ है?
(क) धारा (ख) सुगन्धि (ग) गौरव (घ) हृदय
(v)
प्रस्तुत पंक्तियॉं कौन-सी कविता में से ली गई हैं?
(क) जड़ की मुस्कान (ख) गाता खग (ग) दोहावली (घ) पदावली
उत्तरमाला :- i) (घ) ii) (ख) iii) (ख) iv) (ख) v) (ख)
(10)
उठ उठ लहरें कहतीं यह
हम कूल विलोक न पाएँ,
पर इस उमंग में बह – बह
नित आगे बढ़ती जाएँ।
(i) लहरें क्या देखने की कामना करती हैं?
(क) समुद्र (ख) कूल (ग) नदी (घ) कुल
(ii) लहरें किस उमंग में आगे बढ़ती है?
(क) समुद्र में मिलने की (ख) पानी में लीन होने की (ग) नदी के तट तक पहुँचने की (घ) रूक जाती हैं
(iii) 'विलोक' शब्द का अर्थ क्या है?
(क) किनारा (ख) देखना (ग) आगे बढ़ना (घ) रूक जाना
(iv) किस की लहरें उठ कर तट तक पहुँचना चाहती है?
(क) सरिता (ख) कविता (ग) वनिता (घ) रणिता
(v)
प्रस्तुत पंक्तियॉं कौन-सी कविता में से ली गई हैं?
(क) गाता खग (ख) जड़ की मुस्कान (ग) दोहावली
(घ) पदावली
उत्तरमाला :- i)(ख) ii) (ग) iii) (ख) iv) (क) v) (क)
(11)
कहती अपलक तारावलि
अपनी आँखों का अनुभव
अवलोक आँख आँसू की
भर आती आँखें नीरव।
(i) सितारे कैसे चमकते हैं?
(क) अपलक (ख) निधड़क (ग) बेधड़क (घ) एकटक
(ii) सितारे हमें क्या सिखाते हैं?
(क) खुश रहना (ख) हँसना (ग) रोना (घ) चलना
(iii) 'अपलक' का क्या अर्थ है?
(क) बिना देखे (ख) देख कर (ग) बिना पलक झपके (घ) अनचाहे
(iv) सितारे किस का अनुभव बताते हैं?
(क) जीवन का (ख) आँखों का (ग) प्रेम का (घ) ममता का
(v)
प्रस्तुत पंक्तियों के रचयिता कौन हैं?
(क) तुलसीदास (ख) मीराबाई (ग) हरिवंशराय बच्चन (घ) सुमित्रानंदन पंत
उत्तरमाला :- i) (क) ii) (क) iii) (ग) iv) (ख) v) (घ)
(12)
एक दिन तने ने भी कहा था- जड़?
जड़ तो जड ही है; जीवन से सदा डरी रही है,
और यही है इस का सारा इतिहास
कि ज़मीन में मुँह गड़ाए पड़ी रही है
लेकिन में ज़मीन से ऊपर उठा, वाहर निकला,
बढ़ा हूँ मज़बूत बना हूँ, इसी से तो तना हूँ।
(i) जड़ का इतिहास क्या है? -
(क) वह पौधे को पैदा करती है (ख) वृक्ष को सुखा देती है (ग) धरती में गड़ी रहती है (घ) धरती से बाहर निकलती है
(ii) तना कैसा होता है?
(क) कमज़ोर (ख) पतला (ग) टेढ़ा-मेढ़ा (घ) मज़बूत
(ii) 'मुँह गड़ाए पड़ी रहना' से क्या अभिप्राय है?
(क) छिपना (ख) शर्म करना (ग) सामने न आना (घ) घबरा जाना
(iv) तना कहाँ से ऊपर उठा है?
(क) ज़मीन से (ख) आकाश से (ग) जड़ से (घ) पानी से
(v)
प्रस्तुत पंक्तियॉं कौन-सी कविता में से ली गई हैं?
(क) दोहावली (ख) पदावली (ग) जड़ की मुसकान (घ) गाता खग
उत्तरमाला :- i) (ग) ii) (घ) iii) (ख) iv) (क) v) (ग)
13) तना? किस बात पर है तना?
जहाँ बिठाल दिया गया था वहीं पर है बना;
प्रगतिशील जगती में तिल भर नहीं डोला है,
खाया है, मोटाया है, सहलाया चोला है;
लेकिन हम तने से फूटी दिशा - दिशा में गई
ऊपर उठीं नीचे आई, हर हवा के लिए दोल बनी, लहराई?
इसी से तो डाल कहलाई।
(i) तना कैसे खड़ा रहता है?
(क) टेढ़ा (ख) सीधा (ग) मोटा (घ) अडोल
(ii) डाल कहाँ से फूटती है?
(क) पेड़ से (ख) जड़ से (ग) तने से
(घ) पत्तियों से
(iii) 'प्रगतिशील' का क्या अर्थ है?
(क) चलता हुआ (ख) उन्नति करता हुआ (ग) गति में (घ) दौड़ लगाता हुआ
(iv) डाल हवा के लिए क्या बन जाती है?
(क) झूला (ख) झोंका (ग) ढोल (घ) संगीत
(v)
प्रस्तुत पंक्तियों के रचयिता कौन हैं?
(क) हरिवंशराय बच्चन (ख) मैथिली शरण गुप्त (ग) मीराबाई (घ) तुलसीदास
उत्तरमाला :- i) (घ) ii) (ग) iii)
(ख) iv) (क) v) (क)
संयोजक :- गुरप्रीत कौर, हिंदी अध्यापिका, स.ह.स. लापराँ, लुधियाना
संशोधक :- विनोद कुमार हिंदी शिक्षक स ह स बुल्लेपुर लुधियाना