कक्षा दसवीं अभ्यास शीट - 72

प्रस्तुत पद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें:-

 

मेरे तो गिरिधर गोपाल, दूसरो न कोई ।

जाके सिर मोर मुकुट, मेरो पति सोई ।

तात,मात, भ्रात, बंधु , आपनो न कोई।

छांड़ि दई कुल की कानि, कहा करै कोई ।

संतन ढिग बैठि बैठि, लोक लाज खोई।

अँसुअन जल सींचि सींचि, प्रेम बेलि बोई।

अब तो बेल फैल गई, आनंद फल होई।

भगत देखि राजी भई , जगत देखि रोई।

दासी मीरा लाल गिरधर, तारौ अब मोही।

 

( I.) 'गिरिधर'  से मीराबाई का अभिप्राय गोवर्धन पर्वत को धारण करने वाले भगवान श्रीकृष्ण से है । (हाँ अथवा नहीं )

( ii.) मीरा ने श्री कृष्ण के अतिरिक्त सभी रिश्ते नातों को अपना बताया है । (सही अथवा गलत)

( iii.)मीरा ने संतों की संगति में बैठकर……. छोड़ दी। (रिक्त स्थान भरें) लोकलाज

( iv.)'कुल'शब्द का उपर्युक्त पद के आधार पर सही अर्थ से मिलान करें।

          कुल        किनारा

                         सारा

             वंश

( v. )क्या इस पद्यांश का केंद्रीय भाव मीराबाई द्वारा श्रीकृष्ण को अपना  सर्वस्व मानकर संसार रूपी सागर से अपना उद्धार करने की प्रार्थना है? (हाँ अथवा नहीं)

 

तैयारकर्ता:- पूजा रानी, हिन्दी अध्यापिका, स.स.स.स्कूल, बोड़ा, होशियारपुर ।