प्रस्तुत पद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें:-
श्री
गुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि।
बरनऊँ
रघुबर विमल जसु, जो दायकु फल चारि ।।
जड़
चेतन गुन दोषभय, बिस्व कीन्ह करतार ।
संत
हंस गुन गहहिं पय, परिहरि बारि विकार।।
(
i.) श्री राम जी के निर्मल यश का काम करने से धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष चार पल मिलते
हैं।
( हाँ अथवा नहीं ) हाँ
(
ii.) संत हंस की भांति नीर क्षीर विवेक रखते हैं । (सही / गलत ) सही
(
iii.) ईश्वर ने इस समस्त जड़ चेतन संसार को गुण और………से युक्त बनाया है। (रिक्त स्थान भरें। ) दोष
(
iv.) प्रथम दोहे के आधार पर 'रज' शब्द का सही अर्थ से मिलान करें।
रज मन भरना
धूलि
(
v.) 'श्री गुरु चरण सरोज रज' दोहे में तुलसीदास जी ने श्री राम जी की भक्ति से होने वाले लाभ के बारे में बताया है।
( सही / गलत ) सही
लेखन:-
पूजा रानी, हिन्दी शिक्षिका, स.स.स.स्कूल, बोड़ा, होशियारपुर ।