निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के निर्देशानुसार उत्तर दीजिए।
पर सुख संपति देखि सुनि, जरहिं जे जड़ बिनु
आगि।
तुलसी तिन के भाग ते , चलै भलाई भागि।।
बिन बिस्वास भगति नहिं, तेहि विनु द्रवहि न राम।
राम कृपा बिनु सपनेहुँ, जीवन लह विश्राम।।
( i.)'जरहिं जे जड़ बिन आगि' का अर्थ 'ईर्ष्या करना' है। ( हाँ / नहीं )
पर - लेकिन
पंख
दूसरों के