पाठ - 2
समास
निम्नलिखित उदाहरणों को देखिए -
राजा का कुमार - राजकुमार
गौ के लिए शाला -
गौशाला
भला है जो मानस -
भलामानस
उपर्युक्त पदों 'राजा का कुमार' को 'राजकुमार' तथा 'गौ के लिए शाला' को 'गौशाला', 'भला है जो मानस' को 'भलामानस' के रूप में संक्षेप में लिख सकते हैं। इसी संक्षेपीकरण
को समास कहते हैं। 'समास' शब्द संस्कृत की अस् धातु में सम् उपसर्ग के मेल से बना है। इसका अर्थ है समाहार या मिलाप। अतः समास की परिभाषा इस तरह होगी -
परस्पर सम्बन्ध रखने वाले दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से जब कोई नया सार्थक शब्द बनता है तो उस मेल को 'समास' कहते हैं।
समस्त पद तथा विग्रह
सेनापति = सेना का पति
युद्धभूमि = युद्ध के लिए भूमि समस्त पद विग्रह
समस्त पद
विग्रह |
अतः समास करने के उपरान्त जो शब्द बनता है उसे 'समस्त पद' कहते हैं व समस्त पद को पुन: पूर्व स्थिति में लाने को समास-विग्रह कहते हैं।
समस्त पद के दो पद होते हैं-पूर्व पद और उत्तर पद। समस्त पद के पहले पद को 'पूर्व पद' तथा दूसरे पद को 'उत्तरपद' कहते हैं। उपर्युक्त पहले उदाहरण में 'सेना' पूर्वपद तथा 'पति' 'उत्तरपद' है। इसी तरह दूसरे उदाहरण में 'युद्ध' पूर्वपद तथा 'भूमि' 'उत्तरपद' है।
समास के भेद
किसी समस्त पद का अर्थ स्पष्ट करने के लिए इसके पद महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसा करने के लिए समस्त पदों में कभी पूर्व पद तथा कभी उत्तर पद प्रधान होता है। कभी-कभी पूर्वपद तथा उत्तर पद दोनों ही प्रधान होते हैं, तो कभी दोनों को छोड़कर कोई अन्य पद प्रधान होता है। पदों की प्रधानता के आधार पर ही समास के भेद किए जा सकते हैं -
1. तत्पुरुष समास 2. कर्मधारय समास 3. अव्ययीभाव समास
4. द्वंद्व समास 5. बहुब्रीहि समास
नोट : दसवीं के पाठ्यक्रम में तत्पुरुष एवं कर्मधारय समास शामिल हैं, इसलिए यहाँ इन पर विचार किया जा रहा है। निम्नलिखित उदाहरण देखिए :-
(1) तत्पुरुष समास
विग्रह समस्तपद
विग्रह समस्तपद देश के लिए भक्ति देश भक्ति
सेना का नायक सेना नायक पूर्वपद उत्तरपद
पूर्वपद उत्तर पद |
यहाँ पहले उदाहरण में पूर्व पद (देश) गौण है तथा उत्तर पद (भक्ति) प्रधान है। समास बनाते समय पूर्वपद के साथ आने वाले कारक के विभक्ति चिह्न या परसर्ग (के लिए) का लोप हो गया है। दूसरे उदाहरण में पूर्वपद (सेना) गौण है तथा उत्तर पद (नायक) प्रधान है। समास बनाते समय पूर्वपद के साथ आने वाले कारक के विभक्ति चिह्न या परसर्ग (का) का लोप हो गया है।
अतः जिस समास में उत्तर प्रधान होता है, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। तत्पुरुष समास में समस्त पद बनाते समय पूर्वपद के साथ आने वाले कारक के विभक्ति चिह्न या परसर्ग (का) का लोप हो जाता है।
विभिक्ति चिह्न या परसर्ग लोप के आधार पर तत्पुरुष समास के उदाहरण इस प्रकार हैं
(i) कर्म तत्पुरुष
विग्रह |
समस्तपद |
विग्रह |
समस्तपद |
सुख को प्राप्त |
सुख प्राप्त |
यश को प्राप्त |
यश प्राप्त |
परलोक को गमन |
परलोक गमन |
वन को गमन |
वन गमन |
गगन को चूमने वाला |
गगनचुंबी |
माखन को चुराने वाला |
माखनचोर |
इसमें पूर्वपद के साथ आने वाले कर्म कारक के परसर्ग 'को' का लोप हो जाता है।
(ii) करण तत्पुरुष
विग्रह |
समस्तपद |
विग्रह |
समस्तपद |
शाप से ग्रस्त |
शापग्रस्त |
तुलसी द्वारा कृत |
तुलसीकृत |
हस्त से लिखित |
हस्तलिखित |
रस से भरी |
रसभरी |
रेखांकित |
रेखा से अंकित |
अकाल से पीड़ित |
अकाल-पीड़ित |
इसमें पूर्वपद के साथ आने वाले करण कारक के परसर्ग 'से' /द्वारा का लोप हो जाता है।
(iii) सम्प्रदान तत्पुरुष
समस्तपद |
विग्रह |
समस्तपद |
विग्रह |
सत्य के लिए आग्रह |
सत्याग्रह |
धर्म के लिए शाला |
धर्मशाला |
हवन के लिए सामग्री |
हवन सामग्री |
राह के लिए खर्च |
राहखर्च |
विद्या के लिए आलय |
विद्यालय |
हाथ के लिए कड़ी |
हथकड़ी |
इसमे पूर्वपद के साथ आने वाले सम्प्रदान कारक के परसर्ग 'के लिए' का लोप हो जाता है।
(iv) अपादान तत्पुरुष
विग्रह |
समस्तपद |
विग्रह |
समस्तपद |
मार्ग से भ्रष्ट |
मार्गभ्रष्ट |
विद्या से विहीन |
विद्याविहीन |
धर्म से पतित |
धर्मपतित |
ऋण से मुक्त |
ऋणमुक्त |
धन से हीन |
धनहीन |
देश से निकाला |
देश निकाला |
इसमें पूर्वपद के साथ आने वाले अपादान कारक के परसर्ग 'से' का लोप हो जाता है।
(v) सम्बन्ध तत्पुरुष
विग्रह |
समस्तपद |
विग्रह |
समस्तपद |
गंगा का जल |
गंगाजल |
दीनों के नाथ |
दीनानाथ |
देश का वासी |
देशवासी |
घोड़ों की दौड़ |
घुड़दौड़ |
अमृत की धारा |
अमृतधारा |
राष्ट्र का पति |
राष्ट्रपति |
इसमें पूर्वपद के साथ आने वाले सम्बन्ध कारक के परसर्ग 'का, के, की' आदि का लोप हो जाता है।
(vi) अधिकरण तत्पुरुष
विग्रह |
समस्तपद |
विग्रह |
समस्तपद |
वन में वास |
वनवास |
गृह में प्रवेश |
गृह - प्रवेश |
ध्यान में मग्न |
ध्यान मग्न |
आप पर बीती |
आप बीती |
दान में वीर |
दानवीर |
कार्यकुशल |
कार्य में कुशल |
इसमें पूर्वपद के साथ आने वाले अधिकरण कारक के परसर्ग' में, 'पर' आदि का लोप हो जाता है।
अन्य उदाहरण –
विग्रह |
समस्तपद |
विग्रह |
समस्तपद |
दुःख को प्राप्त |
दुःख प्राप्त |
शोक से आकुल |
शोकाकुल |
सब को खाने वाला |
सर्वभक्षी |
युद्ध के लिए भूमि |
युद्धभूमि |
रहीम द्वारा कृत |
रहीमकृत |
पथ से भ्रष्ट |
पथभ्रष्ट |
यज्ञ के लिए शाला |
यज्ञशाला |
भू का दान |
भूदान |
धर्म से विमुख |
धर्मविमुख |
कर्म में वीर |
कर्मवीर |
राजा की सभा |
राज सभा |
ग्राम में वास |
ग्रामवास |
विशेष : निम्नलिखित उदाहरण देखिए -
वायु में चलने वाला यान -
वायुयान
उपर्युक्त उदाहरण में विभक्ति चिह्न (में) के अतिरिक्त दो शब्दों के मध्य के कुछ अन्य पद (चलने वाला) भी लुप्त हो गए हैं।
अतः जिस तत्पुरुष समास में विभक्ति चिह्न के अतिरिक्त मध्य के कुछ अन्य पद भी लुप्त हो जाते हैं, उसे मध्यम पद लोपी तत्पुरुष समास कहते हैं।
अन्य उदाहरण -
विग्रह |
शब्द |
विशेष कथन |
परमवीर को मिलने वाला चक्र |
परमवीर चक्र |
विभक्ति चिह्न (को) के अतिरिक्त दोनों पदों के मध्य संबंध बताने वाले शब्द 'मिलने वाला' लुप्त हैं। |
बैलों के द्वारा खींची जाने वाली गाड़ी |
बैलगाड़ी |
विभक्ति चिह्न (के द्वारा) के अतिरिक्त दोनों पदों के मध्य संबंध बताने वाले शब्द 'खींची जाने वाली' लुप्त हैं। |
माल ढोने वाली गाड़ी |
मालगाड़ी |
दोनों पदों के मध्य संबंध बताने वाले शब्द 'ढोने वाली' लुप्त हैं। |
अश्रु लाने वाली गैस |
अश्रुगैस |
दोनों पदों के मध्य संबंध बताने वाले शब्द 'लाने वाली' लुप्त हैं। |
मधु इक्ट्ठा करने वाली मक्खी |
मधुमक्खी |
दोनों पदों के मध्य संबंध बताने वाले शब्द 'इकट्ठा करने वाली' लुप्त हैं। |
(2) कर्मधारय समास
विग्रह समस्तपद
विग्रह समस्तपद
काली है जो मिर्च काली मिर्च चरण रूपी कमल चरण कमल
पूर्वपद उत्तरपद
पूर्वपद
उत्तरपद
यहाँ पहले उदाहरण में पूर्वपद 'काली' (विशेषण) है जो कि उत्तर पद 'मिर्च' (विशेष्य) को विशेषता बता रहा है। यहाँ समास में पूर्वपद तथा उत्तर पद में विशेषण-विशेष्य सम्बन्ध है तथा उत्तर पद प्रधान है।
यहाँ दूसरे उदाहरण में पूर्वपद 'चरण' (उपमेय) है जिसकी समानता उत्तर पद 'कमल' (उपमान) के साथ की गई है। यहाँ समास में पूर्वपद तथा उत्तर पद में उपमेय-उपमान सम्बन्ध है
तथा उत्तर पद प्रधान है।
अतः जिस समास में पूर्वपद तथा उत्तर पद में विशेषण विशेष्य अथवा उपमेय-उपमान का सम्बन्ध हो तथा जिस समस्त पद का उत्तर पद प्रधान हो वह कर्मधारय समास कहलाता है।
विशेष: (i) विशेषण - जिस शब्द से संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता प्रकट हो उसे विशेषण कहते है।
'जैसे- 'नील कमल' इस शब्द में 'नील' शब्द विशेषण है जो 'कमल' (संज्ञा) की विशेषता बता रहा है।
(ii) विशेष्य
- जिसकी विशेषता बताई जाए, उसे विशेष्य कहते हैं। जैसे 'नील कमल' शब्द में 'कमल' की विशेषता बताई जा रही
है। अतः 'कमल' यहाँ विशेष्य है।
(iii) उपमान
- वह वस्तु या व्यक्ति जिससे समता की जाती है, उसे 'उपमान' कहते हैं। जैसे-'कमल मुख' में 'कमल' से समता की
जा रही है, अतः 'कमल' उपमान है।
(iv) उपमेय
- वह वस्तु या व्यक्ति जिसकी समता की जाए, उसे 'उपमेय' कहते हैं। जैसे- 'कमल मुख' में 'मुख' की समता कमल से की गई है। अत: 'मुख' उपमेय है।
विशेषण- विशेष्य संबंध को समझने के लिए कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं -
विग्रह |
समस्तपद |
विशेष कथन |
महान है जो देव |
महादेव |
महान (विशेषण) देव (विशेष्य) |
नीली है जो गाय |
नीलगाय |
नील (विशेषण) गाय (विशेष्य) |
परम है जो आनंद |
परमानंद |
परम (विशेषण) आनंद (विशेष्य) |
उपमान-उपमेय संबंध को समझने के लिए कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं -
विग्रह शब्द |
समस्तपद |
विशेष कथन |
घन के समान
श्याम |
घनश्याम |
घन (उपमान) श्याम (उपमेय) |
कनक के समान लता |
कनकलता |
कनक (उपमान) लता (उपमेय) |
चन्द्र के समान मुख |
चन्द्रमुख |
चन्द्र (उपमान) मुख (उपमेय) |
उपमेय-उपमान संबंध को समझने के लिए कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं -
विग्रह |
समस्तपद |
विशेष कथन |
नर है जो सिंह के समान |
नर सिंह |
नर (उपमेय) सिंह (उपमान) |
मुख है जो चन्द्र के समान |
मुखचन्द्र |
मुख (उपमेय) चन्द्र (उपमान) |
ग्रन्थ है जो रत्न के समान |
ग्रन्थरल |
ग्रन्थ (उपमेय) रत्न (उपमान) |
अभ्यास
निम्नलिखित पदों में समास / समास विग्रह कीजिए : -
विग्रह समास मन
से गढ़ंत मनगढ़ंत जेब
के लिए खर्च जेबखर्च धर्म
से भ्रष्ट धर्मभ्रष्ट कर्तव्य
में निष्ठा कर्तव्यनिष्ठा देश
के लिए प्रेम देशप्रेम लाखों
का पति लखपति आराम
के लिए कुर्सी आरामकुर्सी सबको
प्रिय सर्वप्रिय परीक्षा
के लिए केन्द्र परीक्षाकेन्द्र पाप
से मुक्त पापमुक्त |
समास विग्रह बाढ़-पीड़ित बाढ़ से
पीडित युद्ध-अभ्यास युद्ध के लिए अभ्यास भुखमरा भूख से
मरा जन्मरोगी जन्म
से रोगी भारतरत्न भारत का
रत्न राजकुमारी राजा
की कुमारी आँखों-देखी आँखों से देखी मृत्यु-दंड मृत्यु
का दंड नगरवास नगर में
वास पैदलपथ पैदल चलने के लिए पथ |
संयोजक :- विनोद कुमार, डी.एम. हिंदी, लुधियाना
संशोधक :- गुरप्रीत कौर, हिंदी अध्यापिका, स.ह.स. लापराँ, लुधियाना
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