पाठ - 8 अशिक्षित का हृदय (कहानी) कक्षा-दसवीं

 

पाठ - 8

अशिक्षित का हृदय (कहानी)

विश्वंभर नाथ शर्मा 'कौशिक' (कहानीकार)

अभ्यास

() विषय-बोध

1) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए:

प्रश्न 1. बूढ़े मनोहर सिंह का नीम का पेड़ किस के पास गिरवी था ?

उत्तर : बूढ़े मनोहर सिंह का नीम का पेड़ ठाकुर शिवपाल सिंह के पास गिरवी था।

प्रश्न 2. ठाकुर शिवपाल सिंह रुपए लौटाए जाने पर किस बात की धमकी देता है ?

उत्तर : ठाकुर शिवपाल सिंह रुपए लौटाए जाने पर नीम का पेड़ कटवा देने की धमकी देता है।

प्रश्न 3. मनोहर सिंह ने रुपए लौटाने की मोहलत कब तक की मांगी थी ?

उत्तर : मनोहर सिंह ने रुपए लौटाने की मोहलत  एक सप्ताह की मांगी थी।

प्रश्न 4. नीम का वृक्ष किस के हाथ का लगाया हुआ था ?

उत्तर : नीम का वृक्ष बूढ़े मनोहर सिंह के पिता जी के हाथ का लगाया हुआ था।

प्रश्न 5. तेजा सिंह कौन था ?

उत्तर : तेजा सिंह गाँव के एक प्रतिष्ठित किसान का बेटा था। उसकी आयु 15-16 वर्ष की थी।

प्रश्न 6. ठाकुर शिवपाल सिंह का कर्ज़ अदा हो जाने के बाद मनोहर सिंह ने अपने नीम के पेड़ के विषय में क्या निर्णय लिया ?

उत्तर : ठाकुर शिवपाल सिंह का कर्ज़ अदा हो जाने के बाद मनोहर सिंह ने सभी गाँव वालों के सामने अपना नीम का पेड़ बालक तेजा सिंह के नाम कर दिया।

2) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए :

प्रश्न 1. मनोहर सिंह ने अपने नीम के पेड़ को गिरवी क्यों रखा ?

उत्तर : एक वर्ष पूर्व मनोहर सिंह को खेती कराने की सनक सवार हुई थी। उसने ठाकुर शिवपाल सिंह की कुछ भूमि लगान पर लेकर खेती कराई थी। परंतु दुर्भाग्य से उस साल वर्षा हुई, जिसके कारण कुछ भी पैदावार हुई। ठाकुर शिवपाल सिंह को लगान पहुँचा। तब ठाकुर शिवपाल सिंह ने मनोहर सिंह का नीम का पेड़ जो उसके पिता के हाथ का लगाया हुआ था, गिरवी रख लिया।

प्रश्न 2. ठाकुर शिवपाल सिंह नीम के पेड़ पर अपना अधिकार क्यों जताते हैं ?

उत्तर : मनोहर सिंह ने डेढ़ वर्ष पूर्व ठाकुर शिवपाल सिंह से खेती करने के लिए रुपए उधार लिए थे। जिसे वह हाथ तंग होने के कारण चुका नहीं पाया। यहाँ तक कि वह उसका ब्याज भी नहीं दे पाया। तब ठाकुर ने रुपयों के स्थान पर मनोहर सिंह का नीम का पेड़ अपने पास गिरवी रख लिया। एक सप्ताह की मोहलत के पश्चात भी जब ठाकुर को रुपए नहीं मिले तब वह नीम के पेड़ पर अपना अधिकार जताते हैं।

प्रश्न 3. मनोहर सिंह ठाकुर शिवपाल सिंह से अपने नीम के वृक्ष के लिए क्या आश्वासन चाहता था ?

उत्तर : मनोहर सिंह जब ठाकुर शिवपाल सिंह का कर्ज़ चुका पाया तो ठाकुर ने उसका नीम का पेड़ अपने पास गिरवी रख लिया। मनोहर सिंह ने उसे कहा कि अब आपके रुपए का कोई जोखिम नहीं है। क्योंकि यह पेड़ कम से कम 25-30 रुपए का तो अवश्य होगा। यदि वह उधार चुका पाया तो वह पेड़ उनका हो जाएगा। परंतु वह ठाकुर शिवपाल सिंह से यह आश्वासन चाहता था कि कुछ भी हो जाए परंतु वे उस पेड़ को कटवाएंगे नहीं।

प्रश्न 4. नीम के वृक्ष के साथ मनोहर सिंह का इतना लगाव क्यों था ?

उत्तर : नीम का वृक्ष उसके पिता के हाथ का लगाया हुआ था। इसके साथ उसका बचपन बीता था। वह वृक्ष उसे और उसके परिवार को दातुन और छाया देता रहा था, जिससे उसे सुख मिलता था। वह पेड़ उसे मित्र के समान प्रिय था और उसके पिता के हाथ की निशानी थी इसीलिए उस पेड़ से उसे बहुत लगाव था।

प्रश्न 5. मनोहर सिंह ने अपना पेड़ बचाने के लिए क्या उपाय किया ?

उत्तर : मनोहर सिंह ने अपना पेड़ बचाने के लिए हर संभव उपाय किया। उसने बहुत दौड़-धूप की और दो-चार आदमियों से कर्ज़ भी माँगा परंतु किसी ने उसे रुपए दिए। फिर उसने निश्चय किया कि उसके जीते जी कोई पेड़ काट सकेगा। उसने अपनी तलवार निकालकर साफ़ कर ली और हर समय पेड़ के नीचे पड़ा रहने लगा। एक दिन जब ठाकुर के आदमी पेड़ काटने के लिए आए तो वह तलवार निकालकर डट कर खड़ा हो गया और उन्हें डरा धमका कर वापस भेज दिया।

प्रश्न 6. मनोहर सिंह की किस बात से तेजा सिंह प्रभावित हुआ ?

उत्तर : तेजा सिंह मनोहर सिंह को चाचा कहकर बुलाता था। एक दिन मनोहर सिंह को अकेला बड़बड़ाता हुआ देखकर उसका कारण पूछता है। मनोहर सिंह उसे अपना सारा कष्ट और आपबीती बताता है। मनोहर सिंह उसे कहता है कि वह इस पेड़ के लिए मर मिटने को भी तैयार है तो एक पेड़ के प्रति उसका इतना लगाव देखकर तेजा सिंह बहुत प्रभावित होता है।

प्रश्न 7. तेजा सिंह ने मनोहर सिंह की सहायता किस प्रकार की ?

उत्तर : तेजा सिंह मनोहर सिंह का एक पेड़ के प्रति लगाव देखकर बहुत प्रभावित होता है। वह मनोहर सिंह की पेड़ बचाने में सहायता करना चाहता है। इसलिए वह अपने घर से 25 रुपए लेकर आता है। परंतु शीघ्र ही पता चलता है कि वह पैसे उसने चुराए हैं। तेजा के पिता उससे वे रुपए ले लेते हैं। तब तेजा सिंह मनोहर सिंह का कर्ज़ चुकाने के लिए अपनी नानी द्वारा दी गई सोने की अंगूठी उसे दे देता है, जिस पर उसके पिता का कोई अधिकार नहीं था। तब तेजा के पिता अंगूठी के स्थान पर 25 रुपए देकर ठाकुर का कर्ज़ चुका देते हैं। इस प्रकार तेजा सिंह मनोहर सिंह की पेड़ बचाने में सहायता करता है।

3) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 6-7 पंक्तियों में दीजिए :

 

प्रश्न:- 1. 'मनोहर सिंह' का चरित्र चित्रण कीजिए 

उत्तर:- 'अशिक्षित का हृदय’ कहानी में 'मनोहर सिंह' सर्वाधिक आकर्षक पात्र है। वह कहानी का केन्द्र बिन्दु है। अशिक्षित का हृदय कहानी में मनोहर सिंह के चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएं उभरकर हमारे समक्ष आती हैं:-

1. कहानी का प्रमुख पात्र :-   

                    मनोहर सिंह अशिक्षित का ह्रदय कहानी का प्रमुख पात्र है। उसकी आयु लगभग 55 वर्ष है ।संपूर्ण कहानी उसी के इर्द-गिर्द घूमती है। कहानी का शीर्षक भी उसी की ओर लक्ष्य करता है। लेखक का उद्देश्य भी उसी के चरित्र पर प्रकाश डालना है।

2. परिवार के सुख से वंचित :-   

                      मनोहर सिंह ने अपना यौवन फौज़ में नौकरी करते हुए बिताया ।अब वह संसार में अकेला है ।परिवार का कोई सगा संबंधी नहीं। गाँव में 1-2 दूर के संबंधी हैं, जिन से भोजन बनवा कर वह अपने जीवन की गाड़ी खींच रहा है।

3. ऋणी :- 

        एक बार वह ठाकुर शिवपाल सिंह से खेती के लिए कर्ज़ा लेता है । किंतु वर्षा ना होने के कारण खेती अच्छे से नहीं होती और वह ठाकुर शिवपाल सिंह का ऋणी बन जाता है।

4. प्रकृति प्रेमी :-

           ठाकुर शिवपाल सिंह प्रकृति प्रेमी है।  वह उस नीम के पेड़ को अपने भाई के समान प्यार करता है जो उसके पिता के हाथ का लगाया हुआ था। उसकी रक्षा के लिए वह मर मिटने को भी तैयार हो जाता है।

5. स्वाभिमानी :-

            मनोहर सिंह में स्वाभिमान तथा अहं का भाव एक साथ थे। वह तेजा सिंह को कहता है,"बेटा, मैंने सारी उम्र फौज में बिताई है। बड़ी-बड़ी लड़ाई और मैदान देखे हैं। ये बेचारे हैं किस खेत की मूली। आज शरीर में बल होता, तो इनकी मजाल नहीं थी कि मेरे पेड़ के लिए ऐसा कहते। मुँह नोच लेता। मैंने कभी नाक पर मक्खी नहीं बैठने दी। बड़े-बड़े साहब-बहादुरों से लड़ पड़ता था। ये बेचारे हैं क्या?"

6. उपकार को मानने वाला :-

                    मनोहर सिंह अपने ऊपर किए हुए उपकार का बदला अच्छे से चुकाना जानता है। जब उसे पता चलता है कि तेजा सिंह उसके पेड़ को बचाने के लिए घर से पैसे चुरा कर लाया है तब  वह अपना पेड़ उसी के नाम कर देता है।

    इस प्रकार से ठाकुर शिवपाल सिंह ऋणी, प्रकृति प्रेमी, परिवार के सुख से वंचित, स्वाभिमानी तथा कृतज्ञ पात्र के रुप में उभरकर हमारे समक्ष आता है।

प्रश्न:- 2. 'तेजा सिंह' का चरित्र चित्रण कीजिए 

उत्तर:- तेजा सिंह 'अशिक्षित का ह्रदय' कहानी का दूसरा प्रमुख पात्र

है ।  अशिक्षित का हृदय कहानी में उसके चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएं उभरकर हमारे समक्ष आती हैं:-

1. कहानी का प्रमुख पात्र :-  

                 तेजा सिंह अशिक्षित का ह्रदय कहानी का दूसरा प्रमुख पात्र है। उसकी आयु लगभग 15- 16 वर्ष है । वह गाँव के एक प्रतिष्ठित किसान का बेटा है।

2. समझदार :-

       तेजा सिंह एक समझदार पात्र के रूप में उभरकर हमारे सामने आता है। बूढ़े मनोहर सिंह का अपने पेड़ के प्रति प्रेम जो बड़े से बड़े लोग नहीं समझ पाते, उसे यह छोटा सा समझदार बच्चा बड़ी आसानी से समझ लेता है।

3. भावुक :-

         तेजा सिंह एक भावुक किशोर है ।वह मनोहर सिंह को चाचा कह कर बुलाता है । जब वह मनोहर सिंह का पेड़ के प्रति प्रेम देखता है तो उसका दिल पसीज जाता है ।

4. प्रकृति प्रेमी :-  

             तेजा सिंह एक विशुद्ध प्रकृति प्रेमी है।  पेड़ की रक्षा के लिए वह अपने घर से 25 रुपये चुराकर लाता है। पिता द्वारा पैसे वापिस माँगे जाने पर वह अपनी नानी द्वारा दी गयी सोने की अंगूठी पेड़ को बचाने के लिए दे देता है। उसके प्रकृति प्रेम को देखकर ही मनोहर सिंह अपना नीम का पेड़ उसके नाम कर देता है।

5. साहसी :-  

         तेजा सिंह एक साहसी बालक है। वह मनोहर सिंह के साथ बड़े साहस से शिवपाल सिंह का सामना करता है तथा अंत में अपने साहस के कारण ही पेड़ की रक्षा करने में सफल हो जाता है।    

प्रश्न:-3. 'अशिक्षित का ह्रदय' कहानी का उद्देश्य क्या है ?

उत्तर :- 'विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक' द्वारा रचित कहानी 'अशिक्षित का ह्रदय' एक उद्देश्य पूर्ण रचना है। इस कहानी के माध्यम से कहानीकार ने कहानी  के मुख्य पात्र मनोहर सिंह के निश्चल और स्नेहपूर्ण ह्रदय का चित्रण किया है। इस कहानी का उद्देश्य निम्नलिखित है:-

1.प्रकृति के साथ मनुष्य के प्रेम पर प्रकाश डालना :-

                                    इस कहानी का प्रधान उद्देश्य प्रकृति के साथ मनुष्य के प्रेम पर प्रकाश डालना है। व्यक्ति का व्यक्ति के प्रति प्रेम तो अक्सर देखने को मिलता है परंतु व्यक्ति का एक पेड़ के प्रति प्रेम कम ही देखने को मिलता है जो इस कहानी में दिखाया गया है। मनोहर सिंह नीम के पेड़ को अपने भाई के समान प्यार करता है और उसकी रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए तैयार हो जाता है।

2.ऋण न  लेने की प्रेरणा :-

                    इस कहानी के माध्यम से कौशिक जी ने यह बताने का प्रयास भी किया है कि हमें ऋण नहीं लेना चाहिए। इस कहानी का संपूर्ण घटनाक्रम तभी घटित होता है जब इस कहानी का प्रमुख पात्र मनोहर सिंह ठाकुर शिवपाल सिंह से ऋण लेता है और फिर ऋण ना चुका सकने की सूरत में उसे ठाकुर शिवपाल सिंह के शोषण का शिकार होना पड़ता है।

3.निस्वार्थ प्रेम :-

           इस कहानी में कहानीकार ने  तेजा सिंह के माध्यम से यह भी स्पष्ट किया है कि संसार में कुछ ऐसे मनुष्य भी होते हैं जो निस्वार्थ भाव से दूसरों की सहायता करते हैं । तेजा सिंह के द्वारा कर्ज में डूबे मनोहर सिंह का नीम का पेड़ बचाने में उसकी हर संभव सहायता करना निस्वार्थ प्रेम की ही उदाहरण है।

सारांश :-

      इस प्रकार से इस कहानी  के माध्यम से कहानीकार ने मनुष्य के प्रकृति के प्रति प्रेम,ऋण से होने वाले नुकसान और निस्वार्थ प्रेम की भावना को प्रकट किया है।

 

() भाषा-बोध

1) निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए:

घर  - गृह,सदन,निकेतन

गंगा  - सुरनदी, भागीरथी,देवनदी

वृक्ष  - पेड़,विटप,तरु

बेटा - सुत,तनय,पुत्र

2) निम्नलिखित शब्दों से विशेषण शब्द बनाइए :

सप्ताह    -    साप्ताहिक

 समय     -    सामयिक

निश्चय     -    निश्चित

 प्रतिष्ठा   -    प्रतिष्ठित

स्मरण    -    स्मरणीय

अपराध  -    आपराधिक

3. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर इनका अपने वाक्य में प्रयोग कीजिए:

·         बुढ़ापा बिगाड़ना  (वृद्धावस्था में तंग करना) यदि बच्चे गलत संगति में पड़ जाएं तो माता-पिता का बुढ़ापा बिगाड़ देते हैं।

·         सीधे मुँह बात करना  (ठीक से बात करना) जब से मोहन के पास पैसा आया है तब से वह किसी से सीधे मुँह बात नहीं करता।

·         जान एक कर देना (बहुत मेहनत करना) परीक्षा में प्रथम आने के लिए मीरा ने जान एक कर दी।

·         क्रोध के मारे लाल होना (बहुत गुस्सा आना) सोहन को जुआ खेलते देखकर उसके पिता क्रोध के मारे लाल हो गए।

·         तीन तेरह बकना (अंट शंट बोलना) नशे की हालत में सोहन तीन तेरह बकने लगता है।

·         नाक कटवाना (बदनाम करवाना) मोहित ने चोरी करके अपने परिवार की नाक कटवा दी।

·         चेहरे का रंग उड़ना (घबरा जाना )चोरी पकड़े जाने पर गीता के चेहरे का रंग उड़ गया।

4) पंजाबी से हिंदी में अनुवाद कीजिए :

(1) ਠਾਕੁਰ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਚਲੇ ਜਾਣ ਤੋਂ ਬਾਦ ਮਨੋਹਰ ਸਿੰਘ ਨੇ ਤੇਜਾ ਨੂੰ ਬੁਲਾ ਕੇ ਛਾਤੀ ਨਾਲ ਲਾਇਆ ਤੇ ਕਿਹਾਪੁੱਤਰ, ਇਸ ਦਰਖੱਤ ਨੂੰ ਤੂੰ ਹੀ ਬਚਾਇਆ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਹੁਣ ਮੈਨੂੰ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ ਕਿ ਮੇਰੇ ਪਿੱਛੋਂ ਤੂੰ ਇਸ ਦਰਖੱਤ ਦੀ ਪੂਰੀ ਰੱਖਿਆ ਕਰ ਸਕੇਂਗਾ।

अनुवाद - ठाकुर साहब के चले जाने के बाद मनोहर सिंह ने तेजा को बुलाकर छाती से लगाया और कहा - पुत्र, इस वृक्ष को तुमने ही बचाया है, इसलिए अब मुझे विश्वास हो गया है कि मेरे बाद तुम इस वृक्ष की पूरी रक्षा कर सकोगे।

(2) ਸ਼ਿਵਪਾਲ ਸਿੰਘ ਨੇ ਆਪਣੇ ਆਦਮੀਆਂ ਨੂੰ ਕਿਹਾ - ਵੇਖਦੇ ਕੀ ਹੋ, ਇਸ ਬੁੱਢੇ ਨੂੰ ਫੜ ਲਓ ਅਤੇ ਦਰਖੱਤ ਕੱਟਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿਓ।

अनुवाद - शिवपाल सिंह ने अपने आदमियों से कहा- देखते क्या हो, इस बूढ़े को पकड़ लो और पेड़ काटना शुरू कर दो।


लेखन   - विनोद कुमार (हिंदी शिक्षक)स.ह.स.बुल्लेपुर,लुधियाना

         गुरप्रीत कौर(हिंदी शिक्षिका) स ह स लापरा लुधियाना

         किरन(हिंदी शिक्षिका) सरकारी मिडल स्कूल जोगेवाला (पटियाला)

संशोधक – डॉ॰ राजन (हिंदी शिक्षक)लोहारका कलां, अमृतसर