पाठ-14(मुहावरे और लोकोक्तियाँ)कक्षा-नौवीं

 

                                                                     पाठ-14  

                                                          मुहावरे और लोकोक्तियाँ

निम्नलिखित मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग करें :

1) अँगूठा दिखाना (कुछ देने से साफ इन्कार कर देना) : जब राजेश को पैसों की आवश्यकता पड़ी तो उसके सभी मित्रों ने अँगूठा दिखा दिया।

2) आड़े हाथों लेना (अच्छी तरह काबू करना) : चोरी करते पकड़े जाने पर राहुल को पुलिस ने आड़े हाथों लिया।

3) ईमान बेचना (बेईमानी करना) : आजकल एक ईमानदार मित्र का मिलना बहुत मुश्किल है। ऐसा लगता है जैसे सब ने अपना ईमान बेच दिया हो। 

4) उड़ती चिडिया पहचानना (रहस्य की बात तत्काल जानना) : तुम सुरेन्द्र से कुछ भी छुपा नहीं सकते। वह तो उड़ती चिड़िया के पर पहचान लेता है।  

5) ओखली में सिर देना (जान बूझकर मुसीबत में फँसना) : आजकल के नौजवान नशा करके ओखली में सिर दे रहे हैं। इसके परिणाम तो भुगतने ही पड़ेंगे।  

6) काया पलट होना (बिल्कुल बदल जाना) : असलम जब से विदेश से लौटा है, उसकी तो काया ही पलट गई है। 

7) कलई खुलना (रहस्य प्रकट हो जाना) : अब धीरे-धीरे लोगों के सामने सभी राजनैतिक दलों की कलई खुलने लगी है। 

8) गले मढ़ना (जबरदस्ती किसी को कोई काम सौंपना) : दीपक, यह काम तुम्हारा है, तुम इसे मेरे गले मत मढ़ो।  

9) घास खोदना (व्यर्थ समय बिताना) : एक विद्यार्थी का समय बड़ा मूल्यवान होता है। उसे घास खोदने से बचना चाहिए।  

10) टका-सा जवाब देना (कोरा उत्तर देना) : जब मैंने गीता से हिंदी की पुस्तक माँगी तो उसने टका-सा जवाब दे दिया। 

11) दाँत खट्टे करना (बुरी तरह हराना) : भारत ने कई बार अपने दुश्मनों के दाँत खट्टे किए हैं। 

12) दाल में काला होना (गड़बड़ होना) : आज पुलिस ने संजय को तस्करी के आरोप में हिरासत में ले लिया। उसकी हरकतों से पहले ही लगता था कि दाल में कुछ काला है।  

13) नाव पार लगाना (कोशिश सफल होना) : रणवीर की सहायता से ही मेरी नाव पार लगी है, नहीं तो मैं इस बार फेल हो जाता। 

14) पेट पर लात मारना (रोज़गार से वंचित करना/रोज़ी रोटी छीन लेना) : कोरोना की बीमारी ने बहुत से लोगों के पेट पर लात मारी है। 

15) फलना फूलना (सुखी और सम्पन्न होना) :  सभी माता-पिता यह चाहते हैं कि उनके बच्चे सदा फलें-फूलें। 

16) बाज़ी मारना (सफल होना) : मेहनती व्यक्ति हमेशा बाज़ी मार लेते हैं।

17) भेड़ की खाल में भेड़िया (देखने में सरल तथा भोला-भाला किंतु असल में खतरनाक) : परेश को देखकर कोई नहीं कह सकता कि वह किसी की हत्या कर सकता है। वह तो भेड़ की खाल में भेड़िया निकला।  

18) माथा ठनकना (संदेह होना) : उसे देखते ही मेरा माथा ठनक गया था कि वह ज़रूर कुछ गड़बड़ करेगा।

19) रुपया ठीकरी कर देना (बेकार में रुपये खर्च करना) : नरेश ने बहुत पुरानी कार खरीद कर रुपया ठीकरी कर दिया। अब वह हमेशा खराब रहती है।

20) हाथों के तोते उड़ना (हैरान होना) : पुलिस को देखते ही चोरों के हाथों के तोते उड़ गए।

 

निम्नलिखित लोकोक्तियों का वाक्यों में प्रयोग करें :

1) अशर्फ़ियाँ लुटें और कोयलों पर मोहर (एक ओर तो लापरवाही से खर्च करना और दूसरी ओर पैसे-पैसे का हिसाब रखना) : सतीश हर रोज़ होटलों में दारू और जुए पर हज़ारों रुपये उड़ा देता है लेकिन बेचारे मज़दूरों को उनका वेतन देने की बात आती है तो बहाने बनाने लगता है। इसे कहते हैं अशर्फ़ियाँ लुटें और कोयलों पर मोहर।

2) आगे कुआँ पीछे खाई (दोनों ओर संकट) : बदमाशों ने कुलबीर को रास्ते में घेर लिया और उससे कहने लगे कि या तो वह अपना सारा सामान उनके हवाले कर दे या गोली खाने के लिए तैयार हो जाए। कुलबीर के लिए तो वैसी ही बात हो गई कि आगे कुआँ पीछे खाई। 

3) उल्टे बाँस बरेली को (विपरीत काम करना) : राजू अपने दोस्त सें मिलने दिल्ली से आगरा गया और दिल्ली से उसके लिए पेठा ले गया। इसी को कहते हैं उल्टे बाँस बरेली को।  

4) एक और एक ग्यारह होते हैं (एकता में बल है) : हमें सब के साथ मिलजुल कर रहना चाहिए। किसी ने सच ही कहा है कि एक और एक ग्यारह होते हैं।

5) एक अनार सौ बीमार (वस्तु थोड़ी, माँग ज़्यादा) : एक कारखाने में चपड़ासी के एक पद लिए आवेदन माँगे गए तो वहाँ दो हज़ार से भी अधिक लोगों ने आवेदन किया। यह तो वही बात हुई कि एक अनार और सौ बीमार।

6) ओस चाटे प्यास नहीं बुझती (कम वस्तु से तृप्ति नहीं होती) : रमेश बेटे के विवाह में  बहुत  सोच-सोचकर कंजूसी से खर्च कर रहा था तो उसके पिता ने उसे कहा कि वह हाथ ज़रा खुला रखे, यहाँ ओस चाटने से प्यास नहीं बुझती।

7) कंगाली में आटा गीला (मुसीबत पर मुसीबत) : एक दुर्घटना में गजेंद्र का एक हाथ कट गया और ऊपर से कोरोना के कारण नौकरी भी चली गई। इसी को कहते हैं कंगाली में आटा गीला।

8) कागज़ हो तो हर कोई बाँचे, भाग बाँचा जाए (कागज़ पर लिखा तो पढ़ा जा सकता है किंतु किस्मत में लिखा नहीं) : सावित्री का सारा जीवन ही दुखों में बीता। बचपन में ही माता-पिता चल बसे। लोगों के घरों में कामकाज करते हुए बचपन बीता। विवाह हुआ तो पति शराबी और जुआखोर निकला। बुढ़ापे में बच्चों ने भी सहारा नहीं दिया। सच ही है कि कागज़ हो तो हर कोई बाँचे, भाग बाँचा जाए। 

9) खोदा पहाड़ निकली चुहिया (बहुत मेहनत करने पर कम फल प्राप्त होना) : सतीश लाखों रुपये कमाने की चाह में गाँव का सब कुछ बेचकर शहर आया पर केवल पंद्रह सौ रुपये मासिक की नौकरी मिली। इसे कहते हैं – खोदा पहाड़ निकली चुहिया।

10) गंगा गए गंगादास, जमना गए जमनादास (सिद्धांतहीन व्यक्ति) : आजकल के अधिकतर नेताओं के पास कोई सिद्धांत नहीं है। वे अपने स्वार्थ के लिए किसी भी दल का दामन थाम सकते हैं। उनका हाल ऐसा है कि गंगा गए गंगादास, जमना गए जमनादास।

11) घमंडी का सिर नीचा (अहंकारी को सदा मुँह की खानी पड़ती है) : रावण के पास ज्ञान, भक्ति, शक्ति, सत्ता, धन, सेना सब कुछ था। परंतु उसके अहंकार ने उसे कहीं का नहीं छोड़ा। सच ही है कि घमंडी का सिर नीचा।

12) चोर के घर मोर (चालाक का अधिक चालाक से सामना होना) : राम लाल अपने आप को बहुत चालाक समझता है, किसी को अपने सामने बात नहीं करने देता। परंतु इस बार राजीव के सामने उसकी एक चली। इसी को कहते हैं चोर के घर मोर।

13) जाको राखे साइयां मार सके कोय (जिसका परमात्मा रक्षक हो, उसे कोई नहीं मार सकता) : इतनी भयानक दुर्घटना में साहिल का जीवित बच जाना किसी चमत्कार से काम नहीं है। तभी तो कहते हैं कि जाको राखे साइयां मार सके कोय। 

14) डूबते को तिनके का सहारा (मुसीबत में थोड़ी सी मदद भी बहुत मायने रखती है) : जब राहुल के पिता जी के दिल का ऑप्रेशन हुआ तो उसके सभी दोस्तों ने थोड़े-थोड़े रुपये इकट्ठे कर के उसकी सहायता की। बेशक रुपये बहुत ज़्यादा नहीं थे परंतु राहुल के लिए बहुत मायने रखते थे। उसके लिए तो यही रुपये डूबते को तिनके का सहारा थे।  

15) दूर के ढोल सुहावने (दूर से सब अच्छा लगता है) : सूरज सुरीला मेरा मनपसंद गायक है। परंतु उसे निजी तौर पर मिलने पर उसके व्यवहार से मैं बहुत दुखी हुआ। किसी ने सच ही कहा है कि दूर के ढोल सुहावने लगते हैं।   

16) नीम हकीम खतरा जान (अधूरा ज्ञान हानिकारक होता है) : बलजीत बड़ी डींगें हाँकता था कि वह बहुत अच्छा मोबाईल मेकैनिक है। लेकिन जब मैंने उसे अपना मोबाईल ठीक करने के लिए दिया तो उसने उसे और भी खराब कर दिया। सच ही कहते हैं कि नीम हकीम खतरा जान।

17) प्यासा कुएँ के पास जाता है, कुआँ प्यासे के पास नहीं (जिसे सहायता लेनी होती है, वह सहायता देने वाले के पास स्वयं जाता है) : राधा ने मुझसे पूछा कि तुम पढ़ने के लिए गीता के पास क्यों जाती हो, वह तुम्हें पढ़ाने तुम्हारे पास क्यों नहीं आती? तो मैंने उत्तर दिया कि प्यासा कुएँ के पास जाता है, कुआँ प्यासे के पास नहीं।    

18) मन चंगा तो कठौती में गंगा (मन पवित्र हो तो घर ही तीर्थ के समान) : मेरे पिता जी कभी किसी तीर्थ स्थान की यात्रा के लिए नहीं जाते। जब मैंने उनसे इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि उनके लिए तो उनका कर्म ही सबसे बड़ी पूजा और घर ही सबसे बड़ा तीर्थ है। वे तो यह मानते हैं कि मन चंगा तो कठौती में गंगा।      

19) साँप मरे, लाठी टूटे (हानि भी हो और काम भी बन जाए) : कम वेतन के कारण वह कई बार स्कूल को छोड़ने के बारे में सोच चुका था परंतु बच्चों की पढ़ाई का नुकसान भी नहीं करना चाहता था। वह कुछ ऐसा उपाय चाहता था जिससे साँप भी मर जाए और लाठी भी टूटे।

20) होनहार बिरवान के होत चीकने पात (महान व्यक्ति की महानता के लक्षण बचपन से ही दिखाई देने लगते हैं) : कार्तिक सात वर्ष का है। वह पढ़ाई में तो अव्वल है ही इसके साथ ही संगीत, खेल, चित्रकला, समान्य ज्ञान आदि में भी उसका कोई मुकाबला नहीं। वह बड़ा होकर अवश्य अपने माता-पिता और अध्यापकों का नाम रौशन करेगा। सच ही कहते हैं कि होनहार बिरवान के होत चीकने पात।