कक्षा:- आठवीं
बिना विचारे जो करें ; सो पाछे पछताए ।
काम बिगारौ आपनो ;जग में होत हँसाय।
जग में होत हँसाय;चित्त में चैन ना पावे ।
खान, पान, सम्मान ;राग रंग मनहि न भावे ।
कह गिरिधर कविराय; दुख कछु टरत ना टारे।
खटकत है जिय माहिं; किया जो बिना विचारे।।
प्र:-
1.बिना सोचे समझे काम शुरू करने वाले व्यक्ति को अंत में पछताना पड़ता है । (सही अथवा
गलत)
प्र:-
2. काम सही से पूरा हो जाने पर दुनिया वाले हंसी उड़ाते हैं।((सही अथवा गलत)
प्र:-
3.खान, पान ………राग रंग मनहि ना भावे।( रिक्त स्थान की पूर्ति करें।)
प्र:-
4. ‘बिगारे’ शब्द का सही अर्थ से मिलान करें:-
बिगारे बेगाना
बिगाड़ना
अधूरा
प्र:-
5. प्रस्तुत पद्यांश का केंद्रीय भाव सोच समझकर काम ना करने की शिक्षा देना है। ( हाँ
अथवा नहीं)
उत्तर तालिका:- (1)सही (2) गलत(3) सम्मान
(4)बिगाड़ना (5) नहीं
प्रस्तुति:- पूजा रानी, हिन्दी अध्यापिका,
स.स.स.स्कूल, बोड़ा, ज़िला:- होशियारपुर ।